

लेकिन इन दोनों को लेकर अभी एकदम से भरोसा नहीं जग रहा। न तो शेयर बाजार की वापसी टिकाऊ होने का भरोसा दिला रही है, न ही रुपये को लेकर आश्वस्त हुआ जा सकता है कि यह अब और नहीं गिरेगा।
आज शेयर बाजार में वायदा निपटान (एक्सपायरी) का दिन है और यह सत्र इस निपटान के समीकरणों में ही उलझा रहेगा। पिछले तीन सत्रों से निफ्टी मोटे तौर पर 5565-5665 के दायरे में अटका है। आज सुबह इसने मजबूत शुरुआत की है, जिससे यह एक बार फिर इस दायरे के ऊपरी छोर पर खड़ा है और शुरुआती घंटे में 5660-5640 के बीच घूम रहा है। ऐसा लगता है कि बाजार में कोई अगली स्पष्ट चाल आज जून वायदा सीरीज निपटने के बाद ही बनेगी। यह चाल किधर होगी, इसका संकेत इस हफ्ते का ऊपरी या निचला स्तर टूटने पर ही मिलेगा।
लेकिन अगर बाजार इस हफ्ते के दायरे को ऊपर की ओर तोड़े भी तो मुझे नहीं लगता कि इससे कोई खास उत्साह बनेगा। मैंने शनिवार 22 जून को भी लिखा था कि "अभी बाजार में किसी भी उछाल पर भरोसा करना मुश्किल है। ऐसी कोई उछाल 5750-5800 तक जाते-जाते दम तोड़ सकती है, उससे पहले ही निपट जाये तो कोई आश्चर्य नहीं। इसी तरह सेंसेक्स को 19000-19150 के दायरे में काफी बाधा झेलनी पड़ेगी।"
दूसरी ओर अगर बाजार इस हफ्ते के दायरे को नीचे की तरफ तोड़े, तो वैसी हालत में भी बेतहाशा गिरावट का डर अभी नहीं लग रहा। कुछ लोग जरूर मान रहे हैं कि 5500-5550 के नीचे जाने पर बाजार बुरी तरह टूट सकता है। लेकिन मेरे विचार से 5400-5500 का दायरा मध्यम अवधि के लिहाज से महत्वपूर्ण सहारे का काम करेगा। इसीलिए मैंने 22 जून को लिखा था कि "आने वाले दिनों में अगर निफ्टी 5400-5500 के दायरे तक फिसलने के बाद वापस सँभलने का कोई संकेत दे तो उस संकेत को बहुत तवज्जो देना चाहिए। उन स्तरों से होने वाली वापसी में दम होगा।" बेशक, ऐसी वापसी के बाद जब बाजार दोबारा गिरे और उस समय अगर निफ्टी 5400 के नीचे गिरने लगे तो यह अगली बड़ी गिरावट का संकेत बन सकता है।
इस समय रुपये में ऐतिहासिक कमजोरी के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली लगातार जारी है। लेकिन अब बाजार और रुपये के इन स्तरों पर बिकवाली करने वाले एफआईआई दोतरफा नुकसान उठा रहे हैं। एक तो शेयर भाव नीचे आ चुके हैं, वहीं रुपये की कमजोरी के कारण उनके हाथ में आने वाला डॉलर मूल्य और भी कम हो जा रहा है। इस दोतरफा नुकसान को देखते हुए संभव है कि आने वाले दिनों में एफआईआई बिकवाली भी थम जाये।
कल एक डॉलर का भाव 60.76 रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर चला गया। इस तरह 60 के मनोवैज्ञानिक स्तर पर रुपये को कोई खास सहारा नहीं मिल पाया। लेकिन कल मुद्रा बाजार में निश्चित रूप से घबराहट की स्थिति बनी थी जिसके बीच यह रिकॉर्ड तलहटी बनी। अब देखना यह होगा कि डॉलर का भाव अगले कुछ दिनों में 60 रुपये के नीचे लौटता है या नहीं। अगर यह 60 के नीचे लौट कर 59.50 से भी नीचे जाने लगे तो यह माना जा सकता है कि छोटी से मध्यम अवधि के लिए रुपये ने एक तलहटी बना ली। लेकिन अगर अगले कुछ दिनों तक डॉलर का भाव 60 रुपये के ऊपर-ऊपर ही चलता रहा तो अगले किसी दबाव में यह 62 की ओर बढ़ सकता है, जिस संभावना की चर्चा काफी लोग कर रहे हैं। जब तक रुपये की चाल साफ नहीं होगी, तब तक एफआईआई भी वापस खरीदार नहीं बनेंगे। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 27 जून 2013)
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