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गैस के दाम बढ़ने का असली फायदा बस रिलायंस (Reliance) को

राजीव रंजन झा : कल केंद्र सरकार ने गैस की कीमतें बढ़ाने का ऐलान किया और हमारा शेयर बाजार आज मानो गैस के दम पर रॉकेट बन गया। 
शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स में 300 अंक से ज्यादा की उछाल दिख रही है। हालाँकि कोई चाहे तो पूछ सकता है कि गैस की कीमतें बढ़ने से कोल इंडिया क्यों 3% उछल गया? या फिर बीएचईएल और एलएंडटी को इससे क्या फायदा मिलने वाला है कि ये दोनों भी दो-ढाई फीसदी तेज नजर आ रहे हैं? टाटा मोटर्स, बजाज ऑटो, महिंद्रा या फिर भारती एयरटेल को गैस की कीमतों में वृद्धि से क्या फायदा हो रहा  है? खैर…
जहाँ तक गैस की कीमतों में वृद्धि से फायदे का सवाल है, इसका वास्तविक फायदा केवल रिलायंस इंडस्ट्रीज को होने वाला है। वैसे तो कागजी तौर पर इस फैसले का सबसे ज्यादा फायदा ओएनजीसी को मिलना चाहिए, क्योंकि अभी वास्तव में गैस का महत्वपूर्ण उत्पादन उसी का है। मीडिया में आयी टिप्पणियों के मुताबिक ओएनजीसी ने संकेत दिया है कि गैस की कीमत में एक डॉलर की बढ़ोतरी से उसे 2100-2200 करोड़ रुपये का फायदा होने वाला है। 
इस हिसाब से देखें तो ओएनजीसी को होने वाला फायदा करीब 9000 करोड़ रुपये का हो सकता है, जो काफी बड़ी रकम है। लेकिन आशंका यही है कि सरकार उसके इस लाभ का ज्यादातर हिस्सा सब्सिडी साझेदारी, लाभांश वगैरह के जरिये वापस ले लेगी।  ऑयल इंडिया ने भी अनुमान जताया है कि गैस की कीमत में प्रति डॉलर वृद्धि से उसे 400 करोड़ रुपये का लाभ होगा। इस तरह ऑयल इंडिया को भी करीब 1700 करोड़ रुपये का लाभ होना चाहिए। लेकिन ऑयल इंडिया की भी कहानी वही है जो ओएनजीसी की है। इसलिए इन दोनों शेयरों के लिए आज बाजार ने जो उत्साह दिखाया है, उसके टिकाऊ होने पर मुझे संदेह है। 
लेकिन रिलायंस पर इन दोनों सरकारी कंपनियों की तरह सब्सिडी बोझ नहीं पड़ने वाला। इसलिए गैस की कीमत में वृद्धि का पूरा-पूरा फायदा उसकी जेब में ही रहेगा। लेकिन इस समय रिलायंस के पास गैस है कहाँ? केजी डी6 में उसका गैस उत्पादन घट कर 14 एमएमएससीएमडी के नीचे जा चुका है। बेशक यह माना जा सकता है कि कीमत को लेकर स्थिति साफ होने के बाद कंपनी इस उत्पादन को फिर से बढ़ाने की दिशा में रुचि लेगी। 
अगर जानकारों से मिलने वाले संकेतों पर भरोसा करें तो इस दिशा में प्रयास शुरू हो चुके हैं। लेकिन बीपी के साथ साझेदारी के बाद से उसने जो प्रयास शुरू किये हैं, उनका नतीजा दिखने में अभी समय लगने वाला है। इसलिए रिलायंस के गैस उत्पादन में कोई ठीक-ठाक सुधार अगले कारोबारी साल के मध्य से ही दिखना शुरू हो सकता है। वास्तव में गैस उत्पादन कंपनी की कुल आय में एक महत्वपूर्ण योगदान 2015-2016 में कर सकेगा और उस समय इस मूल्य-वृद्धि का असली फायदा रिलायंस के बही-खातों में नजर आयेगा। 
हालाँकि शेयर बाजार बेसब्र होता है, वह इतना इंतजार नहीं कर सकता। इसलिए भविष्य की ये उम्मीदें वह आज ही भुनाने में लगा है। अभी महज 5 दिन पहले ही रिलायंस का भाव 785 के निचले स्तर पर था। आज इसने सुबह-सुबह 873 रुपये का ऊपरी स्तर छू लिया और उसके बाद 860 के आसपास टिकने की कोशिश कर रहा है। क्या यह आने वाले दिनों में इन स्तरों से ज्यादा आगे जा सकेगा? काफी कुछ बाजार की चाल पर निर्भर करता है, लेकिन रिलायंस के लिए 890-900 के ऊपर जाना अभी मुश्किल लगता है। अगर यह मौजूदा स्तरों पर ही अटक जाये तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। 
आज सुबह की उछाल के साथ निफ्टी अपने बाधा क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है। मैंने 22 जून को भी लिखा था कि "अभी बाजार में किसी भी उछाल पर भरोसा करना मुश्किल है। ऐसी कोई उछाल 5750-5800 तक जाते-जाते दम तोड़ सकती है।" निफ्टी इस समय 5800 के ठीक नीचे है। यह दिलचस्प है कि गुरुवार और शुक्रवार की उछाल के बावजूद निफ्टी अपने महत्वपूर्ण मूविंग एवरेज स्तरों के नीचे ही है। कल के बंद स्तर 5682 से उछल कर निफ्टी आज 5750-5800 के दायरे में आ गया है। इसके बावजूद निफ्टी अभी केवल 10 एसएमए (5709) के ठीक-ठाक ऊपर आ सका है और यह 20 एसएमए (5789) के आसपास पहुँच सका है। इसके ठीक ऊपर 200 एसएमए (5815), उसके बाद 100 एसएमए (5849) और फिर 50 एसएमए (5913) पर बाधाएँ मिलने वाली हैं। इसलिए आज के उत्साह के बाद बाजार की चाल कैसी रहेगी, इसको लेकर संदेह कायम है। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 28 जून 2013)

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