
जीएमडीसी (Gujarat Mineral Development Corporation Ltd): गुजरात मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (जीएमडीसी) ने जून तिमाही में पिछली साल के मुकाबले थोड़ी कमजोर परफॉर्मेंस दिखाई है। कंपनी का कंसोलिडेटेड मुनाफा 184 करोड़ रुपये से घटकर 164 करोड़ रुपये रह गया। यानी मुनाफे में साल-दर-साल करीब 11% की गिरावट दर्ज हुई।
आय 818 करोड़ रुपये से घटकर 732 करोड़ रुपये हो गई है। इसका मतलब ये है कि बिक्री के मोर्चे पर भी दबाव रहा है। ऑपरेटिंग लेवल पर बात करें तो एबिटा 212 करोड़ रुपये से घटकर 170 करोड़ रुपये पर आ गया है, और मार्जिन 25.9% से फिसलकर 23.2% पर पहुंच गया।
इस गिरावट की वजह खनन वॉल्यूम में कमी, प्रोडक्शन कॉस्ट में बढ़ोतरी या मार्केट में कोल प्राइस में नरमी हो सकती है। हालांकि कंपनी अब भी मुनाफे में है, लेकिन ऑपरेटिंग एफिशिएंसी पर थोड़ा असर साफ नजर आ रहा है। आने वाले क्वार्टर्स में अगर डिमांड में तेजी आती है, तो कंपनी फिर से ट्रैक पर लौट सकती है।
टाटा केमिकल्स (Tata Chemicals Ltd): टाटा केमिकल्स के जून तिमाही नतीजों में मुनाफा और ऑपरेटिंग लेवल पर अच्छी ग्रोथ दिखी है, लेकिन आय में मामूली गिरावट भी नजर आई है। कंपनी का कंसोलिडेटेड मुनाफा 150 करोड़ रुपये से बढ़कर 252 करोड़ रुपये हो गया, यानी करीब 68% की छलांग। वहीं, आय पिछले साल के 3,789 करोड़ रुपये से थोड़ी घटकर 3,719 करोड़ रुपये रही। ऑपरेटिंग फ्रंट पर टाटा केमिकल्स ने बेहतर परफॉर्म किया है। एबिटा 574 करोड़ रुपये से बढ़कर 649 करोड़ रुपये पहुंचा और एबिटा मार्जिन भी 15.1% से सुधरकर 17.4% पर आ गया।
सीधा मतलब ये है कि कंपनी ने लागत पर बेहतर कंट्रोल रखा और प्रॉफिटेबिलिटी में मजबूती आई, भले ही टॉपलाइन थोड़ी नरम रही हो। बाजार में मांग स्थिर रही हो, लेकिन टाटा केमिकल्स ने एफिशिएंसी और मार्जिन दोनों सुधार कर संकेत दे दिए हैं कि वे चालू साल में बेहतर प्रदर्शन की तैयारी में हैं।
एसबीआई कार्ड्स ऐंड पेमेंट सर्विसेज (SBI Cards and Payment Services Ltd):
एसबीआई कार्ड ने जून तिमाही में मिली-जुली परफॉर्मेंस दी है। एक तरफ नेट इंटरेस्ट इनकम 1,476 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,680 करोड़ रुपये हो गई, यानी अच्छी ग्रोथ दिखी है। लेकिन दूसरी तरफ शुद्ध मुनाफा 594 करोड़ रुपये से घटकर 556 करोड़ रुपये पर आ गया, जो लगभग 6% की गिरावट है। एसेट क्वालिटी पर नज़र डालें तो स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है। ग्रॉस एनपीए 3.08% से हल्का घटकर 3.07% हुआ है, और नेट एनपीए 1.46% से गिरकर 1.42% पर आ गया है।
इसका मतलब ये है कि कंपनी ने क्रेडिट क्वालिटी संभालकर रखी है, लेकिन खर्च या अन्य नॉन-इंटरस्ट फैक्टर्स की वजह से प्रॉफिट पर असर पड़ा है। कुल मिलाकर, कार्ड बिज़नेस में ग्रोथ बरकरार है, लेकिन प्रॉफिटेबिलिटी को लेकर थोड़ा सतर्क रहना होगा।
बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda Ltd): बैंक ऑफ बड़ौदा ने जून तिमाही में मुनाफा बढ़ाकर 4,541 करोड़ रुपये कर लिया, जो पिछले साल 4,458 करोड़ रुपये था। मुनाफे में ये मामूली बढ़त है, लेकिन ये दिखाता है कि बैंक की प्रॉफिटेबिलिटी स्थिर बनी हुई है। हालांकि, नेट इंटरेस्ट इनकम में गिरावट देखने को मिली जो 11,600 करोड़ रुपये से घटकर 11,435 करोड़ रुपये हो गई है। इसका मतलब है कि ब्याज से होने वाली कमाई में थोड़ी सुस्ती रही है, शायद मार्जिन प्रेशर की वजह से। एसेट क्वालिटी के मोर्चे पर भी हल्का खिंचाव नजर आया। ग्रॉस एनपीए 2.26% से बढ़कर 2.28% हो गया और नेट एनपीए 0.58% से बढ़कर 0.60%। कुल मिलाकर, बैंक का मुनाफा तो बढ़ा है, लेकिन एनआईआई में गिरावट और एनपीए में हल्की बढ़त इस बात का संकेत है कि आगे की तिमाहियों में बैंक को क्रेडिट ग्रोथ और एसेट क्वालिटी पर थोड़ा और फोकस करना होगा।
(शेयर मंथन, 26 जुलाई 2025)
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