मनीष कुमार गुप्ता
चार्टर्ड एकाउंटेंट
भविष्य निधि विभाग (प्रोविडेंट फंड डिपार्टमेंट) ने 1 जून 2021 से एक ऐसा नियम बना दिया है, जिसके अनुसार पीएफ कानून के प्रावधानों के तहत आने वाले प्रत्येक कर्मचारी को पीएफ विभाग द्वारा जारी किये गये यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) को अपने आधार से संबद्ध (लिंक) कराना होगा।
यदि उसका पीएफ यूएएन आधार से संबद्ध नहीं होगा तो उसके पीएफ का अंशदान जमा नहीं हो पायेगा। इसके साथ ही वह व्यक्ति अपने पीएफ की निकासी भी नहीं कर सकेगा।
इसका तात्पर्य यह है कि कर्मचारी का पीएफ काटा तो जा सकेगा, लेकिन नियोक्ता का अंशदान सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों का जमा हो सकेगा, जिनका पीएफ अकाउंट आधार से जोड़ा जा चुका है। इसका प्रभाव यह भी होगा कि नियोक्ता के अंशदान की इस आनुपातिक रकम को आय कर में खर्च के तौर पर स्वीकृत नहीं माना जायेगा। साथ ही संबंधित कर्मचारी के एम्पलाई डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस (ईडीएलआई) का प्रीमियम भी जमा नहीं हो सकेगा और वह व्यक्ति बीमा सुरक्षा चक्र से बाहर हो जायेगा। अगर किसी व्यक्ति के पास पीएफ का यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) नहीं है तो उसका प्रोविडेंट फंड संबंधित काम करने से पहले यूएएन लेना ही होगा।
जिस तरह आय कर (इन्कम टैक्स) विभाग में परमानेंट अकाउंट नंबर यानी पैन को आधार से संबंद्ध (लिंक) कराने की प्रक्रिया चल रही है, ठीक उसी तरह की प्रक्रिया सरकार ने पीएफ विभाग में भी कर दी है। इसका नतीजा यह हुआ है कि जो नियोक्ता नकली कर्मचारियों को अपने संस्थान में कार्यरत दिखाते थे, वे अब पहचान लिये जायेंगे और बिना आधार लिंक कराये अब वे अपना पुराना पीएफ भी नहीं निकल पायेंगे। फर्जी कर्मचारियों के माध्यम से आय कर की चोरी करने वाले नियोक्ताओं के लिए यह एक बड़ा झटका है।
पीएफ के आधार से लिंक होने का मतलब यह भी है कि अब इन दोनों विभागों के आँकड़े आधार के माध्यम से मिलाये जा सकेंगे और अब ऐसे झूठे कर्मचारी आय कर देने से बच नहीं पायेंगे। आर्थिक मामलों में सरकार का अभियान यह है कि सभी संबंधित विभागों के आँकड़े एक-दूसरे से साझा होते रहें, ताकि बेहतर नियंत्रण रहे और किसी भी स्तर पर कर (टैक्स) की चोरी न हो सके। यह सरकार की एक दूरगामी प्रक्रिया है, जिसके परिणाम आपको एक से डेढ़ साल में देखने को मिलेंगे, जब पीएफ और आय कर का आँकड़े एक-दूसरे से पूरी तरह संबद्ध हो जायेंगे।
अगर किसी कर्मचारी के यूएएन के विवरण उसके आधार में दिये गये विवरण से मेल नहीं खाते हैं तो वे संबंद्ध (लिंक) नहीं होंगे। ऐसे में आधार या यूएएन में किसी एक को ठीक कराना होगा। इसके लिए विभाग को एक समय-सीमा भी तय कर देनी चाहिए। विगत कुछ समय से प्रोविडेंट फंड के यूएएन की गलतियों को ऑनलाइन ठीक करने के लिए डिजिटल हस्ताक्षर के माध्यम से पीएफ की वेबसाइट पर प्रार्थना पत्र से अपलोड किया गया है। लेकिन पीएफ विभाग की अकर्मण्यता से ऐसे प्रार्थना-पत्रों को 4 से 6 महीने होने के बावजूद निपटाया नहीं गया है, जबकि सरकार ने इसके लिए 15 दिनों की समय-सीमा तय की थी। ऐसे मामलों में आवेदन करने के बावजूद कर्मचारियों का पीएफ रोका जाना अनुचित होगा।
(शेयर मंथन, 03 जुलाई 2021)
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