

मैंने सोमवार 2 दिसंबर की सुबह ही लिखा था कि "अगर इन विधानसभा चुनावों में भाजपा दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ - चारों राज्यों में जीत हासिल कर पायी तो जरूर इसे भाजपा के पक्ष में एक लहर के संकेत के तौर पर देखा जा सकेगा। इससे बाजार का उत्साह भी कुछ और बढ़ जायेगा। वैसी स्थिति में अगर निफ्टी 6357 के पिछले रिकॉर्ड स्तर को पार कर ले और 6400-6500 की ओर बढ़ जाये तो कोई ताज्जुब नहीं।" फिलहाल एक्जिट पोल दिखा रहे हैं कि भाजपा इन चारों राज्यों में सत्ता पाने-बचाने की ओर बढ़ रही है। लिहाजा आज सुबह बाजार खुलते ही सेंसेक्स और निफ्टी में 2-2% की उछाल कतई आश्चर्यजनक नहीं है।
जैसा मैंने पहले लिखा था, आने वाले दिनों में अब इस बात की काफी संभावना बनती है कि निफ्टी 6357 के अपने पिछले रिकॉर्ड स्तर को पार कर ले। हो सकता है कि आगे 6400-6500 की ओर बढ़ने में निफ्टी अभी कुछ और दिन ले ले, क्योंकि शायद बाजार का एक हिस्सा एक्जिट पोल पर ही सारा दाँव लगाने के बदले 8 दिसंबर को मतगणना के बाद अंतिम नतीजे आने का इंतजार करना बेहतर समझे।
निफ्टी ने पिछले हफ्ते की तलहटी 5972 से लेकर आज सुबह के ऊपरी स्तर 6301 तक इसने सवा तीन सौ अंक या 5.5% की बढ़त हासिल कर चुका है। इसलिए जिस तरह बीते एक-दो दिनों में मुनाफावसूली दिखी थी, उसी तरह से संभव है कि आज सुबह की उछाल के बाद भी थोड़ी मुनाफावसूली उभरे। लेकिन मोटे तौर पर अभी कुछ दिनों के लिए बाजार में सकारात्मक रुझान रहने की उम्मीद की जा सकती है।
ध्यान रखें कि जीडीपी (GDP), मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई (PMI) और उसके बाद चालू खाते के घाटे (CAD) के अच्छे आँकड़ों के बाद भी बाजार ने इसलिए ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया था कि वह विधानसभा चुनावों के नतीजे से उभरने वाले संकेतों को देखने का इंतजार करना चाहता था। वह इंतजार एक्जिट पोल के नतीजों ने एक तरह से पूरा कर दिया है। जो रही-सही कसर है, वह 8 दिसंबर को पूरी हो जायेगी। अगर कहीं एक्जिट पोल की तुलना में वास्तविक परिणाम एकदम उल्टे-पुल्टे हो जायें तो अलग बात है, लेकिन इसकी आशंका कम लगती है।
अब आगे का सवाल यह है कि चार राज्यों में भाजापा की जीत होने पर मोदी के नेतृत्व में उसकी लहर होने की पुष्टि हो तो जायेगी, लेकिन क्या यह लहर उसे लोकसभा चुनाव में बहुमत के करीब ले जायेगी? मैंने अपने पिछले लेखों में भी इस बात पर जोर दिया है कि अभी जिन चार राज्यों के विधानसभा चुनावों पर बाजार की खास नजर रही है, उन सबमें भाजपा परंपरागत रूप से मजबूत रही है। इन चारों राज्यों में एक तरह से भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई हुई है, केवल दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की 'आप' ने लड़ाई को तिकोना बनाया है।
लेकिन लोकसभा चुनाव की लड़ाई ज्यादा व्यापक है। लगभग समूचे दक्षिण, पूर्व में बंगाल और उत्तर-पूर्वी राज्यों में भाजपा की पकड़ बहुत सीमित है। उत्तर प्रदेश और बिहार में मोदी की लहर कितना करिश्मा दिखायेगी, इस बारे में अभी केवल अटकलें ही लगायी जा सकती हैं। आगे चल कर जब कुछ और चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षण आयेंगे तो यह साफ होगा कि भाजपा की लहर उसे 200 सीटों से आगे पहुँचा पा रही है या नहीं। यहाँ मेरा कयास यह भी है कि 200 सीटों पर भाजपा की सरकार तो बन सकती है, लेकिन मोदी के प्रधानमंत्री बनने के लिए सवा दो सौ सीटों से कम पर शायद काम न चले। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 05 दिसंबर 2013)
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