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शेयर मंथन सर्वेक्षण : सबकी नजर चुनाव पर

राजीव रंजन झा : साल 2013 के अवसान के साथ अब 2014 में भारतीय शेयर बाजार की संभावनाएँ टटोलने के लिए एक बार फिर शेयर मंथन ने बाजार के दिग्गज जानकारों का सर्वेक्षण किया है।
इस सर्वेक्षण के मुताबिक अगले छह महीनों में भारतीय शेयर बाजार के लिए अगर कोई एक मुद्दा सबसे ज्यादा हावी रहने वाला है, तो वह है लोकसभा चुनाव। इस सर्वेक्षण में 79.2% जानकारों ने चुनाव को ही अगले छह महीनों में भारतीय बाजार के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना है। केवल 12.5% ने फेडरल रिजर्व की ओर क्यूई-3 कार्यक्रम धीमा करने और वैश्विक अर्थव्यवस्था को ज्यादा महत्वपूर्ण माना है, जबकि घरेलू अर्थव्यवस्था से जुड़ी खबरों को सबसे महत्वपूर्ण बताने वाले जानकार केवल 8.3% हैं।
अगर साल 2014 के आगामी लोकसभा चुनाव अगर केवल शेयर बाजार के सहभागियों के बीच हों तो नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा को कुल 543 सीटों में से बहुमत के लिए जरूरी केवल 272 सीटें नहीं, बल्कि शायद पौने पाँच सौ सीटें मिल जायें! इस सर्वेक्षण में जरूर मोदी के नाम की आँधी चलने की बात कही जा सकती है। लोग इकतरफा ढंग से मान कर चल रहे हैं कि अगली केंद्र सरकार भाजपा की होगी और नरेंद्र मोदी ही अगले प्रधानमंत्री बनेंगे। दरअसल इस सर्वेक्षण में 87.5% जानकारों ने मोदी के प्रधानमंत्री बनने का अनुमान जताया है। अगर इसमें उन जानकारों को भी जोड़ लें, जो भाजपा की जीत की संभावना तो देख रहे हैं, लेकिन मोदी को प्रधानमंत्री पद से दूर पा रहे हैं, तो भाजपा की चुनावी जीत देखने वाले जानकार 93.8% हैं।
इस इकतरफा झुकाव वाले आकलन के बावजूद ज्यादातर जानकारों का मानना है कि बाजार ने भाजपा की चुनावी जीत की संभावनाओं को अभी पूरी तरह से भुनाया नहीं है। यह अपने-आप में जरा दिलचस्प है। अगर लोग भाजपा की जीत की इतनी खुली संभावना देख रहे हैं, तो उन्हें ऐसा क्यों लग रहा है कि बाजार ने इस संभावना पर अभी पूरा दाँव नहीं लगाया है?
अगर कहीं भाजपा की सरकार नहीं बन पायी तो बाजार की प्रतिक्रिया कैसी होगी? इस सर्वेक्षण में 41.7% जानकारों के मुताबिक ऐसी स्थिति में बाजार बुरी तरह टूटेगा, जबकि बाकी 58.3% जानकारों के मुताबिक कुछ गिरावट तो आयेगी, लेकिन भारी नुकसान नहीं होगा। कोई असर नहीं बताने वाले तो शून्य हैं हीं, लेकिन दिलचस्प ढंग से यूपीए या किसी तीसरी शक्ति की स्थिर सरकार बन पाने पर सकारात्मक असर देखने वाले भी शून्य हैं! यानी इस समय बाजार भाजपा के अतिरिक्त किसी अन्य को स्वीकार करने की मानसिक स्थिति में नहीं है। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 27 दिसंबर 2013)

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