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जीएमआर होल्डिंग्स ने खरीदे जीएमआर इन्फ्रा के शेयर

जीएमआर होल्डिंग्स कंपनी ने जीएमआर इन्फ्रा के शेयरों की खरीद खुले बाजार से की है। बीएसई को सूचित करते हुए जीएमआर इन्फ्रा ने बताया है कि जीएमआर होल्डिंग कंपनी ने 10,11 और 12 फरवरी 2009 को खुले बाजार से कंपनी के कुल 6,30,000 शेयरों की खरीद की है। इस खरीदे के साथ ही कंपनी में जीएमआर होल्डिंग्स कंपनी की हिस्सेदारी 74.19% हो गयी है।

एचसीसी को 297 करोड़ रुपये का ठेका मिला

हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) को हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन की ओर से कशांग हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर परियोजना के लिये ठेका मिला है। एचसीसी ने बीएसई को भेजी गयी एक विज्ञप्ति में सूचित किया है कि एचपीपीसी की ओर से एचसीसी को 296.90 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया है। इस खबर का सकारात्मक असर कंपनी के शेयर भाव पर नहीं दिख रहा है।

रियल्टी के शेयरों में 5% से अधिक की गिरावट

रियल्टी क्षेत्र के शेयरों में गिरावट का रुख है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में आज के कारोबार में दोपहर 1.51 बजे रियल्टी सूचकांक में 5.4% की कमजोरी है। इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा कमजोरी ऑर्बिट कॉर्पोरेशन के शेयर भाव में है, जो 7.99% की गिरावट के साथ 47.20 पर है। डीएलएल में 6.4% पेनिनसुला लैंड में 5.7%, अंसल इन्फ्रा में 5.6%, इंडियाबुल्स रियल में 5.4% और एचडीआईएल में 5.2% की कमजोरी है।

पंजीकृत हुई इंडिया इन्फोलाइन हाउसिंग

भारत में वित्तीय सेवाएँ प्रदान करने वाली कंपनी इंडिया इन्फोलाइन की सब्सिडियरी इंडिया इन्फोलाइन हाउसिंग फाइनेंस को नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) की ओर से हाउसिंग फाइनेंस कंपनी के तौर पर पंजीकरण मिल गया है। इस पंजीकरण के बाद कंपनी घरों के लिए भी कर्ज दे सकेगी, जिससे इसे अपने कंज्यूमर फाइनेंस पोर्टफोलिओ को बढ़ाने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि इससे पहले इंडिया इन्फोलाइन मार्टगेज, व्यक्तिगत कर्ज, व्यावसायिक कर्ज और प्रतिभूतियों के बदले कर्ज देती थी।

अंतरिम बजट : जो नहीं मिला उसी को मुकद्दर समझ लिया

राजीव रंजन झा

कल सुबह मैंने लिखा था कि सरकार इस अंतरिम बजट में ऐसा कुछ नहीं दे सकेगी जो बाजार के उत्साह को एकदम से बढ़ा दे। और इसीलिए मेरी सलाह थी कि ज्यादा उम्मीदें ना ही लगायें तो अच्छा है। लेकिन बाजार ने उम्मीदें लगायी थीं, काफी दिनों से लगा रखी थी और जब ये उम्मीदें पूरी नहीं हो सकीं, तो बाजार ने जबरदस्त निराशा भी दिखा दी। उद्योग जगत ने अपने सुर को थोड़ा बदला, कहने लगा कि हमने तो ज्यादा उम्मीदें रखी ही नहीं थीं, क्योंकि पता था कि यह केवल लेखानुदान (वोट ऑन एकाउंट) है। लेकिन हकीकत यही है कि उद्योग जगत ने अपनी मांगों की फेहरिश्त भी रखी और उम्मीदें भी लगायीं। आपको अपनी याददाश्त का भरोसा ही काफी होगा, अखबारों के पन्ने पलटने की जरूरत नहीं है इसके लिए!

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