भारत का आईटी सेक्टर, जो कभी हर साल ढाई से तीन लाख नई नौकरियां देता था, आज ऐसी स्थिति में पहुंच गया है कि मुश्किल से 500 नई भर्तियां हो रही हैं।
बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा का कहना है कि यह बदलाव केवल संख्याओं का नहीं, बल्कि पूरे बिजनेस मॉडल के परिवर्तन का संकेत है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते उपयोग ने आईटी इंडस्ट्री के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। अब पारंपरिक आउटसोर्सिंग मॉडल की जगह एआई आधारित ऑटोमेशन और डेटा एनालिटिक्स जैसी नई तकनीकें केंद्र में आ गई हैं। आईटी कंपनियों का कहना है कि घरेलू सुधारों से इस सेक्टर में रौनक लौटना मुश्किल है, इसके लिए अंतरराष्ट्रीय मांग और एआई से जुड़े प्रोजेक्ट्स की जरूरत होगी। उदाहरण के तौर पर, हाल ही में ओरेकल को ओपनएआई से डेटा सेंटर निर्माण का बड़ा ऑर्डर मिला, जिससे कंपनी के शेयर एक ही दिन में 36% बढ़ गए और उसके प्रमोटर की नेटवर्थ 100 बिलियन डॉलर तक बढ़ गई। यह दिखाता है कि इस समय फायदा उन्हीं कंपनियों को मिल रहा है जो एआई इकोसिस्टम के लिए “फावड़े और औजार” यानी इंफ्रास्ट्रक्चर, सेमीकंडक्टर और क्लाउड सेवाएं तैयार कर रही हैं। आईटी सेक्टर एक बड़े संक्रमण काल से गुजर रहा है। एआई ने अवसरों के साथ चुनौतियां भी दी हैं, लेकिन भारत की आईटी कंपनियों की बौद्धिक क्षमता और तकनीकी अनुभव उन्हें इस संकट से उबरने में मदद कर सकते हैं।
(शेयर मंथन, 11 नंवबर 2025)
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