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रेल बजट (Rail Budget) : किसे फायदा, किसे नुकसान

मोदी सरकार के दूसरे और रेल मंत्री सुरेश प्रभु के रेल बजट से विभिन्न कंपनियों और क्षेत्रों को होने वाले नफा-नुकसान का आकलन शुरू हो गया है।

क्वांटम सिक्योरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि माल भाड़े में वृद्धि का फैसला सीमेंट, खाद, लोहा-इस्पात और बिजली जैसे क्षेत्रों के लिए नकारात्मक है। माल भाड़े में सीमेंट के लिए 2.7%, खाद के लिए 10%, लोहा-इस्पात के लिए 0.8% और कोयला के लिए 6.3% की बढ़ोतरी की गयी है।

दूसरी ओर रेलवे के रोलिंग स्टॉक के उन्नयन और इसमें वृद्धि के लिए 1020 अरब रुपये के पूँजीगत खर्च की योजना से एस्कॉर्ट्स, स्टोन इंडिया, टीटागढ़ वैगन, टेक्समैको वगैरह को फायदा मिलेगा, जिनके पास पहले से ही इस तरह के उत्पाद हैं। वहीं 17,000 टॉयलेट को बदल कर बायो-टॉयलेट लगाने के फैसले से एस्कॉर्ट्स को फायदा मिलने की उम्मीद है, जिसके बायो-टॉयलेट को पहले से स्वीकृति मिली हुई है। सूचना तकनीक (आईटी) का इस्तेमाल कर रेलवे यात्रियों और माल ढुलाई के लिए सुविधाएँ बढ़ाने की योजना को क्वांटम ने बारट्रॉनिक्स, एचसीएल इन्फोसिस्टम्स, कर्नेक्स माइक्रोसिस्टम्स इंडिया जैसी कंपनियों के लिए अच्छा माना है। 

रेल बजट में एक बुनियादी ढाँचा (इन्फ्रास्ट्रक्चर) फंड बनाने की घोषणा की गयी है। इसकी होल्डिंग कंपनी एक साझा कंपनी होगी, जिसमें एक साझेदार पीएफसी या आरईसी जैसी पीएसयू इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी होगी। साथ ही बताया गया है कि चार डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर मौजूदा वित्त वर्ष में पूरे होने वाले हैं। यह कंटेनर रेल ऑपरेटरों, जैसे कॉन्कॉर और गेटवे डिस्ट्रीपार्क्स के लिए सकारात्मक है। 

रेलवे विद्युतीकरण की गति बढ़ायी जा रही है। साल 2015-16 में 6,608 रूट किलोमीटर की स्वीकृति दी गयी है, जो पिछले साल से 1330 ज्यादा है। यह फैसला रेलवे विद्युतीकरण के कामों में लगी कंपनियों, जैसे कल्पतरु पावर, केईसी इंटरनेशनल, ज्योति स्ट्रक्चर्स वगैरह के लिए फायदेमंद है। (शेयर मंथन, 26 फरवरी 2015)

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