विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के कारण औद्योगिक उत्पादन लगातार तीसरे महीने नकारात्मक रहते हुए -1.5% रहा। इसकी वजह से उद्योग क्षेत्र ने रिजर्व बैंक से ब्याज दरों में कटौती की माँग की है।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकाँक के रूप में फैक्टरी उत्पादन की वृद्धि नवंबर में -3.4% और दिसंबर में -1.2% रही थी।
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जनवरी माह के बीच की अवधि के दौरान औद्योगिक उत्पादन वृद्धि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग सपाट रह कर -2.7% रही। जनवरी में गिरावट मुख्यत: कैपिटल गुड्स के उत्पादन में गिरावट के कारण रही। कैपिटल गुड्स की वृद्धि दर जनवरी, 2016 में -20.4% रही जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसमें 12.4% की वृद्धि हुई थी। जारी आँकड़ों के अनुसार जनवरी, 2015 में सूचकाँक में 2.8% की वृद्धि दर्ज की गयी थी। फिक्की महासचिव ए. दीदार सिंह ने कहा कि कि उद्योग को आगामी मौद्रिक नीति में दरों में और कटौती की उम्मीद है जो विनिर्माण क्षेत्र को सहायता देने के लिए अर्थव्यवस्था में माँग और निवेश को बढ़ा सकता है। (शेयर मंथन, 12 मार्च, 2016)