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आर्थिक पैकेज से चुनिंदा क्षेत्रों के शेयरों पर सकारात्मक असर: इडेलवाइज

इडेलवाइज सिक्योरिटीज का मानना है कि सरकार ने कल शुक्रवार को जिन आर्थिक उपायों की घोषणा की है, उनमें से ज्यादातर कदमों की उम्मीदें बाजार को पहले से ही थीं। इसलिए इन कदमों का असर मौजूदा बाजार भावों में पहले से ही शामिल है और इन कदमों की घोषणा के बाद पूरे बाजार में संभवतः कोई खास तेजी नहीं आयेगी। लेकिन इडेलवाइज के विश्लेषक सिद्धार्थ सान्याल की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएफएसआई, कंस्ट्रक्शन और निर्यात-केंद्रित उद्योगों के शेयर भावों पर इनका एक सकारात्मक असर दिखना चाहिए।

इडेलवाइज का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस बार की कमी के साथ अब रेपो दर और रिवर्स रेपो दर में आक्रामक कटौती का सिलसिला पूरा कर चुका है। लेकिन फिर भी, इसने यह उम्मीद जतायी है कि अप्रैल तक आरबीआई इन दरों में फिर से 0.5% अंक तक की कटौती कर सकता है। इसका मानना है कि बाजार पहले ही आरबीआई की ओर से दरों में कटौती की उम्मीद कर रहा था। इसके मुताबिक, अब निजी और सरकारी दोनों तरह के बैंक अपनी-अपनी प्राइम लेंडिंग रेट (पीएलआर) में और कटौती करेंगे। इडेलवाइज ने इस कदम को सभी बैंकों के लिए सकारात्मक बताया है।

सरकार ने यह फैसला किया है कि सरकारी बैंकों को अगले एक साल में 200 अरब रुपये की नयी इक्विटी पूँजी (रीकैपिटलाइजेशन) उपलब्ध कराया जायेगा। इडेलवाइज के मुताबिक सरकारी बैंकों को नयी इक्विटी पूँजी (रीकैपिटलाइजेशन) उपलब्ध कराने के फैसले से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि 2009-10 में देश की आर्थिक रफ्तार बरकरार रखने के लिए पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराने में बैंकों को पूँजी पर्याप्तता (कैपिटल एडिक्वेसी) में कोई अड़चन न आये।

कॉर्पोरेट बांडों में एफआईआई निवेश की सीमा 6 अरब डॉलर से बढ़ा कर 15 अरब डॉलर किये जाने के बारे में इडेलवाइज का कहना है कि इस कदम से कॉर्पोरेट बांड बाजार में काफी नया निवेश आ सकेगा। इस समय ट्रिपल-ए रेटिंग वाले कॉर्पोरेट बांडों पर समान अवधि के सरकारी बांडों की तुलना में काफी ज्यादा ब्याज मिल रहा है। यह अंतर 10 साल की अवधि वाले बांड पर लगभग 4% तक का है। साथ ही विदेशी उधारी (ईसीबी) के नियमों में ढील दी गयी है। इन दोनों कदमों के चलते देश में काफी विदेशी मुद्रा आयेगी, जिससे रुपये को मजबूती मिलेगी।

इडेलवाइज ने इस आर्थिक पैकेज से अलग-अलग क्षेत्रों पर होने वाले असर को भी आंका है। कारोबारी वाहनों की खरीद पर मूल्यह्रास की दर बढ़ाये जाने के बावजूद इसने टाटा मोटर्स और अशोक लेलैंड जैसी कंपनियों पर कोई खास असर नहीं होने की बात कही है। ईसीबी नियमों में ढील को इसने आईडीएफसी, पीएफसी, आरईसी और श्रेई के लिए हल्का सकारात्मक माना है। वहीं कारोबारी वाहनों के लिए कर्ज देने वाली एनबीएफसी के लिए लाइन ऑफ क्रेडिट उपलब्ध कराये जाने को इसने सुंदरम फाइनेंस, श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस, कोटक महिंद्रा प्राइम, मैग्मा श्राची जैसी कंपनियों के लिए हल्का सकारात्मक माना है।

इसका मानना है कि सरकारी बैंकों को नयी इक्विटी पूँजी उपलब्ध कराने (रीकैपिटलाइजेशन) का फैसला बैंकों के लिए सकारात्मक है। इस फैसले से खास तौर पर यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और विजया बैंक को फायदा हो सकता है। लेकिन सरकारी बैंकों द्वारा दिये जाने वाले कर्जों का लक्ष्य बढ़ाये जाने को इडेलवाइज ने इनके लिए नकारात्मक ठहराया है। इसका कहना है कि यह एक तरह से सरकारी बैंकों को कर्ज देने का आदेश है, जिससे आगे चल कर इनकी कर्ज-गुणवत्ता पर खराब असर पड़ेगा। हालांकि रेपो और रिवर्स रेपो दरों में कमी और सरकारी बैंकों के लिए कर्ज का लक्ष्य बढ़ाये जाने को इसने इंजीनियरिंग और कैपिटल गुड्स क्षेत्रों के लिए सकारात्मक माना है।

बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिए पैसा उपलब्ध कराने के मकसद से आईआईएफसीएल को अगले 18 महीनों में 300 अरब रुपये के कर-मुक्त बांड जारी करने की अनुमति दी गयी है। सरकार को उम्मीद है कि इससे लगभग 750 अरब रुपये की परियोजनाओं के लिए पैसा उपलब्ध कराया जा सकेगा। इडेलवाइज का कहना है कि इस कदम से जीआईपीएल और नागार्जुन कंस्ट्रक्शन जैसी कंपनियों को सीधा फायदा मिलेगा, जिनकी महत्वपूर्ण बीओटी परियोजनाएँ अभी जारी हैं। साथ ही आने वाली परियोजनाओं के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाली कंपनियों, जैसे एचसीसी, मेटास, मधुकॉन वगैरह को भी फायदा मिलेगा। इसके अलावा, केवल बुनियादी ढाँचा योजनाओं के लिए कर्ज उपलब्ध कराने वाली एनबीएफसी को ईसीबी हासिल करने में दी गयी छूट को इसने सभी कंस्ट्रक्शन कंपनियों के लिए लंबी अवधि में सकारात्मक बताया है। लेकिन इसका कहना है कि छोटी अवधि में इसका सीमित असर ही होगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में नकदी की किल्लत के चलते सस्ती दरों पर कर्ज उठाना मुश्किल होगा।

टीएमटी बार और स्ट्रक्चरल्स पर सीवीडी फिर से लागू किये जाने का फायदा पूरे इस्पात क्षेत्र को मिलेगा। जिंक और फेरो एलॉय पर बेसिक कस्टम ड्यूटी लागू किये जाने को इसने हिंदुस्तान जिंक के लिए हल्का सकारात्मक माना है। साथ ही, हाउसिंग और बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों के लिए उठाये गये तमाम कदमों से इसने पूरे धातु क्षेत्र को फायदा मिलने की उम्मीद जतायी है।

इसका कहना है कि रियल एस्टेट क्षेत्र को रेपो और रिवर्स रेपो दरों में कटौती से हल्का फायदा मिलेगा। वहीं 4% ऐड-वेलोरम सेनवैट घटाये जाने से भी इस क्षेत्र को थोड़ा फायदा मिलेगा, क्योंकि इनकी कुल निर्माण-लागत में सीमेंट और इस्पात की हिस्सेदारी लगभग 50% होती है। लेकिन कम आय और मध्यम आय वर्गों की आवासीय योजनाओं के लिए भूमि उपलब्ध कराने के मकसद से राज्य सरकारों के साथ मिल कर काम करने की जो बात कही गयी है, उसका कोई खास फायदा इस क्षेत्र को नहीं मिलेगा। इडेलवाइज का कहना है कि तकरीबन सभी रियल एस्टेट कंपनियों ने पहले ही भूमि हासिल कर रखी है, जो कम-से-कम अगले 4-5 सालों के लिए पर्याप्त है। एकीकृत टाउनशिप योजनाओं के लिए ईसीबी की अनुमति से भी कोई खास फायदे की उम्मीद नहीं है, क्योंकि इडेलवाइज को यह उम्मीद नहीं है कि मौजूदा माहौल में रियल एस्टेट कंपनियाँ इस रास्ते से पैसा जुटा सकेंगीं।

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