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वैश्विक बेरोजगारी दर 5% पर पहुँची, आगे 4.9% तक गिरने का अनुमान

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने बुधवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा कि वैश्विक बेरोजगारी का स्तर 2018 में एक प्रतिशत गिरकर 5% पर आ गया, आर्थिक संकट के बाद ये आँकड़े सबसे कम हैं।

"वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक ट्रेंड्स 2019" रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल बेरोजगारी की दर 4.9% तक गिरने का अनुमान है। हालाँकि, यह भी कहा जा रहा है कि 2020 में स्थिर रहने की उम्मीद है। वास्तविक रूप से बेरोजगारों की संख्या 17.2 करोड़ से बढ़कर 17.4 करोड़ पर पहुँचने का अनुमान लगाया जा रहा है। यह ऐसे समय में हो रहा है जब श्रम बाजार का विस्तार हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी आईएलओ ने इस तथ्य पर अफसोस जताया कि 2007/8 के वैश्विक वित्तीय संकट के सदमे से उबरने में नौ साल लग गये। 2008-9 के बीच, प्रमुख बाजारों में गिरावट आने से बेरोजगारी की दर 5% से बढ़कर 5.6% तक पहुँच गई। एफे समाचार के एक दस्तावेज का हवाला देते हुए यह कहा गया।
आईएलओ (ILO) के जांच प्रमुख डेमियन ग्रिम्सव ने कहा कि आमतौर पर दुनिया भर में नौकरियों की संख्या बढ़ी है, लेकिन उन नौकरियों की गुणवत्ता में जरूरी सुधार नहीं हुआ।
लिंग एक वास्तविक मुद्दा बना रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं की श्रम शक्ति की भागीदारी पुरुषों की 75% की तुलना में 48% रही है, जिसका अर्थ है कि 3.5 बिलियन वैश्विक श्रम शक्ति में हर पाँच में से तीन पुरुष थे।
तेजी से सुधार की अवधि, जो 2003 तक चली, उसके बाद में भागीदारी की दरों में लिंग अंतर को कम करने की गति रुक गयी। 2016 के आँकड़ों के अनुसार, वैश्विक श्रम बाजार में 3.3 बिलियन में से 2 बिलियन लोगों ने आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डालकर अनौपचारिक रोजगार में काम किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई नौकरियों की गुणवत्ता ख़राब थी और 2018 में निम्न और मध्यम आय वाले देशों में एक चौथाई से अधिक श्रमिक अत्यधिक या मध्यम गरीबी में जी रहे थे।
युवा लोगों (15-24 के बीच) में वैश्विक बेरोजगारी 11.8% थी, जो अन्य आयु वर्ग की तुलना में अधिक थी। संगठन ने रोजगार, शिक्षा या प्रशिक्षण में युवाओं की भागीदारी नहीं होने पर खतरा बताया।
रिपोर्ट में कहा गया है, "स्थिर सकल बेरोजगारी दर के साथ, नौकरी बाजार में अवसरों के संबंध में पुरुषों, महिलाओं और युवा लोगों के लिए दृष्टिकोण भी बहुत स्थिर है। आगे यह भी बताया है कि आने वाले वर्षों में युवाओं को लैंगिक असमानता और श्रम बाजार की चुनौतियों में कमी की उम्मीद की जा रही है।
इसमें कहा गया है कि पिछले 25 वर्षों से श्रम बाजार में युवाओं की भागीदारी लगातार घटी है। हालाँकि, इस बात का एक पहलू यह भी था कि शिक्षा के क्षेत्र में युवाओं की संख्या बढ़ी है।
इस बात की भी चेतावनी दी गई कि श्रम बाजार में सक्रिय लोगों की संख्या की तुलना में निष्क्रिय लोगों की बढ़ती संख्या बाजार को किस तरह से व्यवस्थित किया जाये, भविष्य में यह चुनौतियाँ बनी रह सकती हैं।
2016 के आँकड़ों के अनुसार, आईएलओ ने कहा कि वैश्विक श्रम बाजार में 5-14 आयु वर्ग के लगभग 11.4 करोड़ बच्चों को पंजीकृत किया गया, जिनमें से 7.3 करोड़ खतरनाक परिस्थितियों में काम कर रहे थे। (शेयर मंथन, 14 फरवरी 2019)

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