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हेल्थ इंश्योरेंस हुआ महँगा, प्रीमियम चुकाने के लिए हर महीने कर्ज ले रहे हजारों लोग  

आजकल स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ने लगा है। इसलिये लोग स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हैं। अब उनका प्रीमियम भी सस्ता नहीं है। हालत ये हो गयी है कि प्रीमियम महँगा होने के कारण लोग हेल्थ कवर बनाये रखने के लिए लोन तक ले रहे हैं।

इकनॉमिक टाइम्स की हालिया रिपोर्ट के अनुसार फिंस्टाल, बिमपे फिनस्योर और इंश्योरफिन जैसी स्टार्टअप कंपनियाँ बीमा प्रीमियम के लिए वित्तीय मदद कर रही हैं। आँकड़ों के मुताबिक, हर महीने फिंस्टाल और बिमपे 7000 नये ग्राहक जोड़ रही हैं। बताया जा रहा है कि हर ग्राहक के लिए औसतन लोन 40,000 रुपये का है। वहीं ऐसे लोन के लिए ब्याज दर 12% से 16% तक होती है। लेकिन इस लोन को लेने के लिए क्रेडिट प्रोफाइल भी चेक की जाती है।

इस मामले पर बिमपे के सीईओ हनुत मेहता कहते हैं कि उनके 70% ग्राहक टियर-2 और टियर-3 जैसे छोटे शहरों के हैं और 30% लोग ऐसे हैं जिन्होंने कभी पहले लोन नहीं लिया है। लेकिन वित्तीय मदद के बाद ऐसे लोग आसान भुगतान विकल्प का इस्तेमाल करके अपने बीमा कवरेज को बढ़ा सकते हैं।

महँगे हो रहे प्रीमियम

एक अनुमान के मुताबिक, पिछले एक साल में 52% पॉलिसीधारकों की हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम 25% तक महँगी हो चुकी है। कोविड के बाद से हर साल हेल्थकेयर खर्च बढ़ रहा है। हाल की एक रिपोर्ट में स्वास्थ्य क्षेत्र में महँगाई 14% बतायी गयी है। इसके कारण युवा भी अपने परिवार के लिए बड़ा हेल्थ कवर लेना पसंद कर रहे हैं और इसे ईएमआई के तौर पर चुकाने के विकल्प अपना रहे हैं।

दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ बीमा प्रीमियम भी बढ़ता है। ऐसे में 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए प्रीमियम ज्यादा महँगा हो जाता है। इसके मद्देनजर, आईआरडीएआई ने जनवरी 2024 में दिशा-निर्देश जारी किये थे। इसके मुताबिक, बीमा कंपनियाँ 60 साल से अधिक उम्र के लोगों का प्रीमियम सालाना 10% से ज्यादा नहीं बढ़ा सकतीं। इसमें भी शर्त थी कि इसके लिए पहले से मंजूरी आवश्यक होगी। आईआरडीएआई का कहना है कि उम्र बढ़ने के बाद लोग प्रीमियम दरों में वृद्धि से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

(शेयर मंथन, 19 मार्च 2025)

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