
भारत की इंडस्ट्रियल ग्रोथ को लेकर जून 2025 के आँकड़े थोड़े निराशाजनक हैं। ताजा सरकारी आँकड़ों के मुताबिक, जून में औद्योगिक उत्पादन दर (आईआईपी) सिर्फ 1.5% बढ़ा, जो पिछले 10 महीनों की सबसे कमजोर वृद्धि है। मई में ये दर 1.9% थी। इतना ही नहीं, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में भी इंडस्ट्रियल ग्रोथ सुस्त रही और सिर्फ 2% की बढ़त दर्ज हुई, जो पिछले तीन सालों में पहली तिमाही का सबसे धीमा प्रदर्शन है।
माइनिंग और बिजली सेक्टर बना बड़ी रुकावट
इस पूरे सुस्त प्रदर्शन की सबसे बड़ी वजह माइनिंग सेक्टर रहा। जून में माइनिंग में 8.7% की गिरावट दर्ज हुई, जबकि मई में ये गिरावट सिर्फ 0.1% थी। एक्सपर्ट्स का मानना है कि जून के दूसरे हिस्से में जो ज्यादा बारिश हुई, उसका सीधा असर माइनिंग पर पड़ा। इससे न सिर्फ माइनिंग घटी बल्कि बिजली उत्पादन पर भी असर पड़ा। हालाँकि बिजली सेक्टर की गिरावट की रफ्तार थोड़ी थमी है, लेकिन अब भी रिकवरी की गुंजाइश बाकी है।
मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन में कुछ उम्मीद
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की बात करें तो यहाँ थोड़ी राहत जरूर मिली है। जून में मैन्युफैक्चरिंग की ग्रोथ 3.9% रही, जो मई के 3.2% से बेहतर है। सरकारी खर्च यानी कैपेक्स की वजह से कंस्ट्रक्शन गुड्स सेगमेंट ने अच्छा प्रदर्शन किया और इसमें 7.2% की ग्रोथ दर्ज की गई। ये पिछले महीने के 6.7% से भी ऊपर है। इसका मतलब साफ है कि सरकार की तरफ से इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन में किया गया निवेश जमीन पर असर दिखा रहा है।
कोर सेक्टर की सुस्ती चिंता की बात
आईआईपी का करीब 40% हिस्सा कोर सेक्टर से आता है और यहीं सबसे बड़ी सुस्ती देखने को मिली। इस बार पहली तिमाही में कोर सेक्टर की ग्रोथ सिर्फ 1.3% रही, जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में ये 6.3% थी। यानी साल-दर-साल के हिसाब से कोर सेक्टर ने काफी कमजोर प्रदर्शन किया है, जो इंडस्ट्रियल एक्टिविटी के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
यूज-बेस्ड डेटा में मिली-जुली तस्वीर
यूज-बेस्ड श्रेणी की बात करें तो कुछ सेक्टरों में सुधार दिखा। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में ग्रोथ -0.9% से बढ़कर 2.9% हो गई, जबकि इंटरमीडिएट गुड्स में 5.5% की बढ़त देखी गई। लेकिन कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल्स लगातार पांचवें महीने गिरावट में रहे, जून में इसमें 0.4% की गिरावट रही। प्राइमरी गुड्स में भी 3% की गिरावट आई, जो थोड़ा चिंता बढ़ाने वाला है। कैपिटल गुड्स में भी ग्रोथ एकदम गिरकर 3.5% रह गई, जबकि मई में ये 13.3% थी। इसका मतलब है कि नए प्रोजेक्ट्स और निवेश की गति धीमी हुई है।
आगे क्या?
जानकारों का कहना है कि पहली तिमाही में इंडस्ट्रियल जीवीए यानी ग्रॉस वैल्यू एडेड ग्रोथ वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही के 6.5% से घटकर और कमजोर हो सकती है। यानी इंडस्ट्रियल सेक्टर की स्पीड फिलहाल स्लो मोड में है। फाइनेंस मिनिस्ट्री की जुलाई की इकोनॉमिक रिपोर्ट भी इस बात को मानती है कि पहली तिमाही में ग्रोथ असंतुलित रही। हालाँकि मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन ने कुछ उम्मीदें दी हैं, लेकिन ओवरऑल ग्रोथ का बोझ फिलहाल सर्विस सेक्टर के कंधों पर है।
देश में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन
% 2025 में
जनवरी 5.2
फरवरी 2.7
मार्च 3.9
अप्रैल 2.7
मई 1.9
जून 1.5
देश में मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्शन
% 2025 में
जनवरी 5.8
फरवरी 2.8
मार्च 4.0
अप्रैल 3.4
मई 3.2
जून 3.9
(शेयर मंथन, 29 जुलाई 2025)
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