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एक्सपर्ट राहुल अरोड़ा से जानिए भारतीय बाजार में एफआईआई (FIIs) कब लौटेंगे?

भारतीय बाजार पिछले कुछ वर्षों में लगातार मजबूती दिखा रहा है। ऐसे में बाजार विश्लेषक राहुल अरोड़ा से जानें एफआईआई भारतीय बाजार में कब लौटेंगे?

 बाजार विश्लेषक राहुल अरोड़ा कहते है कि भारतीय बाजार पिछले कुछ वर्षों में लगातार मजबूती दिखा रहा है, लेकिन इसके बावजूद विदेशी संस्थागत निवेशक (FII/FPI) भारतीय इक्विटी में आक्रामक पूंजी नहीं लगा रहे। इसकी मुख्य वजहों में सबसे बड़ा कारण भारतीय बाजार का उच्च वैल्यूएशन है। एफआईआई किसी एक देश के प्रति भावनात्मक रूप से बंधे नहीं होते। वे पूरी दुनिया को एक अवसर क्षेत्र के रूप में देखते हैं और जहाँ उन्हें वैल्यूएशन आकर्षक मिलता है, वहीं पूंजी स्थानांतरित कर देते हैं। भारत फिलहाल महंगे बाजारों में शामिल है, जबकि चीन, वियतनाम और अन्य उभरते देशों के वैल्यूएशन तुलनात्मक रूप से सस्ते हुए थे, जिसके कारण एफआईआई का पैसा उन बाजारों में जाना शुरू हुआ। इसके अलावा, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड अभी भी एफआईआई के लिए एक आकर्षक विकल्प बने हुए हैं। जब जोखिम अधिक हो और रिटर्न अमेरिकी बॉन्ड में आराम से मिल जाए, तो ग्लोबल फंड मैनेजर स्वाभाविक रूप से उस ओर झुकते हैं। यदि अमेरिकी बाजारों में मंदी आती, तो भारत जैसे उभरते बाजारों की ओर रुख बढ़ सकता था, लेकिन पिछले 5–6 वर्षों से हर अनुमान गलत साबित हुआ है और यूएस रिसेशन आया ही नहीं। यही वजह है कि बड़ी मात्रा में पूंजी अमेरिका के टेक और एआई सेक्टर में पार्क हुई है। अगर कोई नीतिगत झटका न आए और बजट के बाद का माहौल स्थिर रहे, तो अगले 3 से 4 महीनों में एफआईआई की वापसी के स्पष्ट संकेत मिल सकते हैं। भारत की 6–7% GDP ग्रोथ, स्थिर सुधार और विशाल घरेलू निवेश आधार यह सुनिश्चित करते हैं कि भारत को लंबे समय तक कोई भी वैश्विक निवेशक नजरअंदाज नहीं कर सकता। 


(शेयर मंथन, 14 नंवबर 2025)

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