बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) ने 2014-15 की तीसरी तिमाही में अपने मुनाफे में जबरदस्त कमी दर्ज की है और साथ ही इसके डूबे कर्जों (एनपीए) में भी इजाफा हुआ है।
इसके चलते शुक्रवार को बैंक ऑफ बड़ौदा का शेयर 11% से ज्यादा टूट गया। बैंक ने अक्टूबर-दिसंबर 2014 की तिमाही में अपना मुनाफा 334 करोड़ रुपये दर्शाया, जो पिछले कारोबारी साल की समान तिमाही के 1,049 करोड़ रुपये से 68.2% कम है। हालाँकि इस दौरान बैंक की शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) 3,057 करोड़ रुपये से 7.5% बढ़ कर 3,286 करोड़ रुपये हो गयी।
बैंक के प्रावधानों (प्रोविजनिंग) में 42.1% की भारी वृद्धि हुई है। इसने अक्टूबर-दिसंबर 2013 के 888 करोड़ रुपये की तुलना में इस बार 1,262 करोड़ रुपये के प्रावधान किये। वहीं घरेलू कारोबार में बैंक का शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) पिछली तिमाही के 3.02% की तुलना में घट कर 2.92% रह गया।
बैंक के डूबे कर्जों (एनपीए) में भी बढ़ोतरी हुई है, जो निवेशकों के लिए चिंताजनक है। इसका सकल एनपीए ठीक पिछली तिमाही के 3.32% से बढ़ कर 3.85% हो गया। वहीं शुद्ध एनपीए भी पिछली तिमाही के 1.74% की तुलना में बढ़ कर 2.11% हो गया।
शुक्रवार को इन नतीजों के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा के शेयर में भारी गिरावट आयी। बीएसई में इसका शेयर नतीजों से पहले हल्की कमजोरी के साथ करीब 212 रुपये पर चल रहा था, जो नतीजों के फौरन बाद लुढ़क कर 187.90 रुपये तक गिर गया। अंत में यह 24.10 रुपये या 11.08% की गिरावट के साथ 193.35 रुपये पर बंद हुआ। (शेयर मंथन, 30 जनवरी 2015)
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