सरकार ने गैस की कीमतों को सामान्य रखने के लिए एक समिति बनाने का फैसला लिया है। यह समिति योजना आयोग के पूर्व सदस्य किरीट एस पारीख की अगुवाई में बनाई गई है।
यह पैनल गैस की कीमतों को तय करने के फॉर्मूला की समीक्षा करेगी। समिति गैस इस्तेमाल करने वालों के लिए उचित कीमत सरकार को सुझाएगी। यह आदेश पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्रालय की ओर से जारी किया गया है। इस समिति में गैस उत्पादन करने वाली कंपनियों के एसोसिएशन के साथ उत्पादन कंपनियां जैसे ओएनजीसी (ONGC) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) भी शामिल होंगी। समिति को महीने के अंत तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। इस समिति में निजी सिटी गैस ऑपरेटर्स, गेल (GAIL), इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के रिप्रेजेंटेटिव और फर्टिलाइजर मंत्रालय के सदस्य भी होंगे। सरकार ने 2014 में घरेलू स्तर पर उत्पादित होने वाले गैस की कीमतों का फॉर्मूला तय किया था। इस फॉर्मूले के आधार पर गैस कीमत उत्पादन लागत से भी निचले स्तर पर थी, लेकिन वैश्विक स्तर पर रूस-यूक्रेन के बीच छिड़े जंग के कारण कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली। गैस उत्पादन करने वाली कंपनियां जैसे ओएनजीसी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के भुगतान की समीक्षा 1 अक्टूबर को होना है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि कीमतें और ऊपर चली जाएंगी। पुराने ऑयल फील्ड से निकाले गए गैस की कीमत 1 अप्रैल से अब तक दोगुना बढ़कर 6.1 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट तक पहुंच गया है जिसके अगले महीने 9 डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह सभी गैस फील्ड ओएनजीसी (ONGC) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) के पास हैं। इसी तरह कठिन गैस फील्ड जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज के डीपसी (Deep Sea) केजी-डी6 (KG-D6) से निकलने वाले गैस की कीमत 1 अप्रैल के 6.13 डॉलर के मुकाबले बढ़कर 9.92 डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। कंपनी को उम्मीद है कि अगले महीने यह बढ़कर 12 डॉलर के स्तर पर पहुंच जाएगा। आपको बता दें कि गैस का इस्तेमाल फर्टिलाइजर के अलावा बिजली पैदा करने के लिए भी की जाती है। इसके साथ ही इसे सीएनजी (CNG) में भी बदला जाता है और पाइप के जरिए किचेन में भी पहुंचाया जाता है। गैस कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई को भी पंख लग जाते हैं। पैनल से गैस के इस्तेमाल करने वालों के लिए उचित कीमत की सिफारिश करने को कहा गया है। साथ ही पैनल से बाजार के मुताबिक, ट्रांसपैरेंट (पारदर्शी) और भरोसे लायक प्राइसिंग की भी सिफारिश करने को कहा गया है। यह सरकार के लंबी अवधि में गैस आधारित अर्थव्यवस्था बनाने के मकसद से भी किया जा रहा है। सरकार की प्राइमरी एनर्जी बास्केट में नेचुरल गैस की हिस्सेदारी 2030 तक 6.7 के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 15 फीसदी तक ले जाना है। पैनल की सिफारिश के बाद इसे कैबिनेट से मंजूरी लेनी होगी। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद ही गैस की नई कीमत लागू हो सकेगी।
(शेयर मंथन 7 सितंबर, 2022)
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