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कॉटन और ग्वारसीड की कीमतों में तेजी का रुझान - एसएमसी साप्ताहिक रिपोर्ट

उच्च स्तर पर मुनाफावसूली से कॉटन वायदा (मार्च) की कीमतें लगातार दूसरे सप्ताह गिरावट के साथ बंद हुई।

रुझान अभी भी तेजी का है क्योंकि आपूर्ति की तुलना माँग से अधिक है। वर्तमान में बाधा 38,630 रुपये के उच्च स्तर पर है और 36,550 रुपये पर सहारा है। उत्पादन में कमी की आशंका, धीमी आवक, बेहतर घरेलू और निर्यात माँग के कारण वर्तमान समय में कपास की कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 70.66% अधिक हैं और नए साल में लगभग 8.9% बढ़ी है। दूसरे अग्रिम अनुमान में, सरकार ने देश में कपास उत्पादन को पहले अनुमान के 362 लाख गांठ से घटाकर 340 लाख गांठ कर दिया है। इस बीच, किसानों के पास कपास का सीमित स्टॉक बचा है, जबकि धागा मिलें कम कीमतों पर कपास बेचने को तैयार नहीं हैं। कपास उत्पादक क्षेत्रों में मौसम साफ है जिससे मंडियों तक परिवहन में आसानी होती है। इस प्रकार, कपास की दैनिक आवक में वृद्धि होगी। इसके अलावा, अगर रूसी-यूक्रेनी की मौजूदा संघर्ष की स्थिति बरकरार रहती है, तो भारत के साथ-साथ अमेरिका से कपास के निर्यात को नुकसान होगा। इसलिए, वैश्विक बाजार में कपास की कीमत में वृद्धि की अब बहुत कम संभावना है। फरवरी की अपनी नवीनतम रिपोर्ट में, यूएसडीए ने भारत की फसल में 5,00,000 गांठ की कमी का अनुमान लगाया है क्योंकि बाजार में आवक की धीमी गति उम्मीद से कम उत्पादन होने का संकेत देती है।
ग्वारसीड वायदा (मार्च) की कीमतों में पिछले सप्ताह तेज गिरावट देखी गयी और अब कीमतों को तत्काल सहारा 5,670 रुपये पर है। यदि कीमतें सहारा स्तर से नीचे टूटती है तो 5,510 रुपये तक लुढ़क सकती है और कीमतों को 6,200 रुपये के स्तर पर रुकावट है। वर्तमान में, पिछले 5 वर्षों में सबसे कम उत्पादन, कई वर्षो में कम स्टॉक और अच्छी निर्यात माँग की संभावना से कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 49% अधिक हैं। तेल रिग की संख्या भी पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 248 अधिक है। दिसंबर में, ग्वारगम का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 32% बढ़कर 32,420 टन हो गया, जबकि 2021-22 (अप्रैल-दिसंबर) में निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 42.6% बढ़कर 2.41 लाख टन हो गया। कच्चे तेल की ऊँची कीमतें और अमेरिका में रिग काउंट में बढ़ोतरी ग्वारगम की माँग के लिए अच्छी खबर है और आने वाले हफ्तों में कीमतों को सहारा मिल सकता है।
अरंडी सीड वायदा (मार्च) की कीमतें पिछले सप्ताह के उच्चतम स्तर को छूने के बाद 2 सप्ताह के निचले स्तर पर लुढ़क गयी कारोबारियों द्वारा कम कीमतों पर ताजा खरीदारी के कारण कीमतों अच्छी रिकवरी हुई। उम्मीद है कि कीमतें 6,600-7,200 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। वर्तमान में अरंडी की कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 55% अधिक हैं, क्योंकि अरंडी का उत्पादन पिछले तीन वर्षों में सबसे कम होने की उम्मीद है। दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार अरंडी का उत्पादन 15.08 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के उत्पादन से लगभग 8.5 प्रतिशत कम है। गुजरात कृषि विभाग के दूसरे अग्रिम अनुमान ने अरंडी के उत्पादन को 1 लाख टन घटाकर 13.02 लाख टन कर दिया, जबकि पहले अनुमान में यह 14 लाख टन था। पिछले साल उत्पादन 13.45 लाख टन हुआ था। अप्रैल-दिसंबर के दौरान अरंडी के तेल का निर्यात पिछले साल के 5.15 लाख टन के निर्यात मात्रा के बराबर हुआ है। लेकिन इसी अवधि के दौरान कैस्टरमील का निर्यात 4.64% कम हुआ है। (शेयर मंथन, 28 फरवरी 2022)

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