तीन फरवरी से आरंभ 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी (Spectrum auction) में आक्रामक प्रतिस्पर्द्धा देखने को मिल रही है।
कल तक इस प्रक्रिया के कुल 49 चरण पूर्ण हो चुके हैं और दूरसंचार सेवा कंपनियों ने 58,332.82 करो़ड़ रुपये की बोली लगायी है। 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए अब तक 34,743.2 करोड़ रुपये की बोली प्राप्त हुई है, जबकि 900 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए 23,589.62 करोड़ रुपये की बोली लग चुकी है। नीलामी प्रक्रिया का कल सातवाँ दिन था। नीलामी प्रक्रिया आज भी जारी है।
इस नीलामी में सफल होने वाली दूरसंचार सेवा कंपनियों को इसकी आंशिक राशि तुरंत देनी होगी, जबकि बाकी राशि की अदायगी अगले अधिकतम दस सालों में किस्तों के माध्यम से की जा सकती है। जहाँ 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए सभी 22 सेवा क्षेत्रों में बोलियाँ प्राप्त हुई हैं, वहीं 900 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए सभी तीन सेवा क्षेत्रों में कंपनियों ने रुचि दिखायी है। इस तरह दोनों ही बैंडों में सभी सेवा क्षेत्रों के लिए बोलियाँ प्राप्त हुई हैं।
अब तक जो पाँच स्पेक्ट्रम नीलामियाँ हुई हैं, उनमें अवधि के लिहाज से यह अब तक की तीसरी सबसे लंबी प्रक्रिया है। साल 2010 में जो 3जी नीलामी हुई थी, वह 34 दिनों तक चली थी। बीडब्लूए नीलामी 16 दिनों तक चली थी।
नीलामी में स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली कंपनी को लाइसेंस हासिल करने के एक महीने के भीतर सेवाओं के लिए लागू होने वाली तकनीक के बारे में विवरण देना होगा यदि वह जीएसएम (GSM) या डब्लूसीडीएमए (3जी) या एलटीई (4जी) तकनीक के अलावा किसी अन्य तकनीक पर आधारित सेवा देना चाहती है। नीलामी के लिए निश्चित मेगाहर्ट्ज से अधिक की माँग करने पर हर अतिरिक्त मेगाहर्ट्ज पर आरक्षित मूल्य (Reserve Price) में 1% की वृद्धि की जायेगी।
यूनिनॉर (Uninor), वीडियोकॉन (Videocon) और सिस्टेमा श्याम (Sistema Shyam) को फिर से प्रदर्शन बैंक गारंटी नहीं जमा करनी होगी। ध्यान रहे कि इन कंपनियों ने नवंबर 2012 और मार्च 2013 में हुई स्पेक्ट्रम नीलामी में स्पेक्ट्रम हासिल किये थे और प्रदर्शन बैंक गारंटी जमा की थी। (शेयर मंथन, 11 फरवरी 2014)