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डूबने के कगार पर माइक्रोफाइनेंस कंपनियाँ, लेनदारों से बकाया नहीं मिलने से बढ़ी मुश्किलें

गरीब तबके के लिए कर्ज लेने का एक प्रमुख जरिया रही माइक्रो फाइनेंस कंपनियाँ अब मुश्किलों में घिरती नजर आ रही हैं। बड़े पैमाने पर इन कंपनियों के कर्जदार कर्ज चुका नहीं पा रहे हैं, जिससे इनका कारोबार प्रभावित हो रहा है और इनके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।

क्रेडिट ब्यूरो क्रिफ हाई मार्क की ताजा रिपोर्ट में इसको लेकर जो खुलासा हुआ है वह हैरान करने वाला है। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे करीब 50 लाख लोग हैं जिन्होंने चार या उससे ज्यादा माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से लोन लिया है, लेकिन वे लोग इस लोन को चुका नहीं पा रहे हैं। इसके चलते माइक्रो फाइनेंस कंपनियाँ डूबने के कगार पर जा पहुँची हैं।

कई लोग एक साथ कई जगह से कर्ज ले लेते हैं। इस तरह से अगर आँकड़ों को देखें तो यह संख्या करीब 1 करोड़ 10 लाख की हो जाती है। ये लोग अब इन कर्जों को वापस नहीं कर पा रहे हैं। दूसरी तरफ, साढ़े आठ करोड़ के माइक्रोफाइनेंस बेस का यह कुल 13% है। इस वजह से माइक्रो फाइनेंस कंपनियों को बहुत नुकसान हो रहा है और उनका बहुत सारा पैसा फँस गया है। पिछले कुछ समय में यह समस्या और भी गंभीर हो गयी है।

बड़ी संख्या में डिफॉल्टर

इकोनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, करीब 50 लाख लोग ऐसे हैं जिन्होंने चार या उससे ज्यादा कंपनियों से कर्ज ले रखा है। वे लोग इतना कर्ज चुकाने में असमर्थ हैं कि अब वे डिफॉल्टर हो गये हैं या होने वाले हैं। इन लोगों की वजह से पूरे माइक्रो फाइनेंस सेक्टर को संकट का सामना करना पड़ रहा है। इनकी वजह से अगर माइक्रोफाइनेंस कंपनियाँ डूबती हैं तो उन्होंने जिनसे लोन ले रखा है उनपर भी ज्यादा असर पड़ेगा, क्योंकि सब कुछ एक चेन में होता है और इसका व्यापक असर देखने को मिल सकता है।

(शेयर मंथन, 11 जनवरी 2025)

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