
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 की अंतिम मौद्रिक नीति की शुक्रवार (07 फरवरी) को घोषणा की, जिसमें रेपो रेट 0.25% घटाकर 6.25% कर दिया गया। केंद्रीय बैंक की इस सौगात से जहाँ पर्सनल लोन, ऑटो लोन और होम लोन लेने वालों के लिए राहत की उम्मीद की जा रही है, वहीं बैंकिंग स्टॉक आज धड़ाम हो गये।
मौद्रिक नीति बैठक में पाँच साल बाद रेपो रेट में कटौती की घोषणा के बावजूद बैंकिंग स्टॉक में गिरावट देखने को मिली और निफ्टी बैंक भी 223.24 अंकों के नुकसान के साथ बंद हुआ। बाजार जानकार मान रहे हैं कि बाजार को पहले से ही रेपो रेट में कटौती का अनुमान था। इसलिए रेपो दर में कटौती की घोषणा के कारण आने वाली तेजी बाजार में पहले ही आ चुकी थी। दरअसल बाजार को आरबीआई द्वारा बैंकिंग तंत्र में तरलता बढ़ाने के और उपायों की घोषणा की उम्मीद थी। एमपीसी की घोषणा में इसका जिक्र नहीं मिलने पर बाजार निराश हो गये और निफ्टी बैंक समेत बैंक स्टॉक में गिरावट देखने को मिली।
सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के शेयर में दर्ज किया गया और आज ये एनएसई पर 2.11% टूट कर 736.40 रुपये पर बंद हुआ। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा के शेयर के भाव 1.57% के नुकसान के साथ 216.25 रुपये पर बंद हुए। तीसरी नंबर पर आईसीआईसीआई बैंक रहा, जिसमें 1.21% की गिरावट आयी और प्रति शेयर का भाव 1257 रुपये पर बंद हुआ।
भारतीय शेयर बाजार विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली, अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर और तीसरी तिमाही के सुस्त नतीजों से पहले ही दबाव महसूस कर रहा है। उसे एमपीसी की बैठक में तरलता बढ़ाने के लिए रेपो रेट के अलावा नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में भी कटौती की उम्मीद थी। इससे पहले दिसंबर 2024 में सीआरआर 0.50% घटाकर 4% किया था।
(शेयर मंथन, 07 फरवरी 2025)
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