
अमेरिका में टैरिफ की गेंद बार-बार इस पाले से उस पाले में जा रही है। पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप इन शुल्कों को लेकर बार-बार बदलती हुई घोषणाएँ करते रहे, कभी बढ़ाते कभी घटाते रहे। अब अदालतों में एक दिन यह टैरिफ रद्द हो रहा है, तो अगले ही दिन बहाल हो जा रहा है।
ट्रंप की ओर से भारत समेत विश्व के काफी देशों के लिए घोषित उच्च सीमा-शुल्कों (टैरिफ) के मामले में बुधवार, 28 मई को एक नाटकीय मोड़ आया, जब अमेरिका के एक संघीय व्यापार न्यायालय (फेडरल ट्रेड कोर्ट) ने ट्रंप की ओर से शुल्क संबंधी इन घोषणाओं को असंवैधानिक बता दिया। मगर एक दिन बाद फेडरल सर्किट के लिए यूएस अपीलीय न्यायालय ने व्यापार न्यायालय के निर्णय को पलट दिया और ट्रंप प्रशासन को एक बड़ी राहत दे दी।
गुरुवार, 29 मई की दोपहर को अपीलीय न्यायालय ने अपने आदेश में व्यापार न्यायालय के फैसले पर “तत्काल प्रशासनिक रोक” लगा दी, जिससे ट्रंप प्रशासन की ओर से घोषित शुल्क लागू रहेंगे। अपीलीय न्यायालय ने कहा है कि इस मुकदमे के वादी 5 जून तक और ट्रंप प्रशासन को 9 जून तक जवाब देना होगा। ट्रंप टैरिफ को अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय में चुनौती देने का काम अमेरिका के ही 12 राज्यों ने किया, जिनमें ट्रंप के विरोधी दल डेमोक्रेटिक पार्टी का शासन है। इन राज्यों ने तर्क दिया था कि ट्रंप टैरिफ से उनके आर्थिक हितों को चोट पहुँच रही है। साथ ही, विदेशी आपूर्ति पर निर्भर कंपनियों को भी इससे नुकसान होगा। (शेयर मंथन, 30 मई 2025)