
धर्मकीर्ति जोशी
मुख्य अर्थशास्त्री, क्रिसिल
वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (रियल जीडीपी) ने आशाओं के अनुरूप वित्त-वर्ष 2024-25 में 6.5% की वृद्धि दर्ज की है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 2023-24 के 3.6 लाख करोड़ डॉलर से बढ़ कर (2024-25 के अंत में) 3.9 लाख करोड़ डॉलर हो गया। वहीं नामित वृद्धि (नोमिलन ग्रोथ) एकल अंक में 9.8% पर रही।
खपत वृद्धि की दर जीडीपी वृद्धि से कहीं अधिक तेज रही, जो मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र में मजबूती के कारण दमदार ग्रामीण माँग से प्रेरित थी। वित्त-वर्ष की अंतिम तिमाही में निवेश वृद्धि में तेज उछाल ने भी वार्षिक निवेश वृद्धि दर को जीडीपी वृद्धि दर से ऊपर ला दिया।
हमारा अनुमान है कि चालू वित्त-वर्ष में खपत मजबूत बनी रहेगी, जो सामान्य मानसून, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा ब्याज दरों में कटौती का लाभ पहुँचने और मध्यम वर्ग को आय कर लाभ जैसे अनुकूल घरेलू कारकों से प्रेरित है। शहरी खपत को इन दो कारकों से बढ़ावा मिलेगा, जिससे वह मजबूत ग्रामीण माँग के पूरक की भूमिका निभा सकेगी।
हालाँकि, निवेश की माँग सुस्त रहने की संभावना है, क्योंकि बढ़ती अनिश्चितता के चलते कंपनियाँ नये निवेश के लिए कम इच्छुक रहेंगी। वहीं सार्वजनिक निवेश भी वित्त-वर्ष 2024-25 की तुलना में धीमी दर से बढ़ाये जाने की योजना है। कुल मिलाकर हमें आशा है कि वित्त-वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी 6.5% की दर से बढ़ेगी, हालाँकि यह जोखिम रहेगा कि आशा से कम वृद्धि हासिल हो सके। (शेयर मंथन, 30 मई 2025)
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