
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोने के बदले कर्ज (गोल्ड लोन) लेने वालों को राहत देने वाला कदम उठाते हुए गोल्ड लोन के एलटीवी अनुपात यानी लोन-टू-वैल्यू रेश्यो में संशोधन किया है।
आरबीआई की इस नयी नीति के तहत अब 2.5 लाख रुपये से कम के गोल्ड लोन पर एलटीवी 85% होगा, जबकि 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक के लोन पर इसे 80% रखा गया है। वहीं, 5 लाख रुपये से अधिक के गोल्ड लोन के लिए पहले की तरह 75% की एलटीवी सीमा ही लागू रहेगी।
जून की मौद्रिक नीति (मॉनिटरी पॉलिसी) की समीक्षा बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस बदलाव की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि छोटे कर्जदारों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बैंक ने यह फैसला किया है। उनके मुातबिक 2.5 लाख रुपये तक के ऋण के लिए न तो क्रेडिट वैल्युएशन की जरूरत होगी और न ही एंड यूज की निगरानी, जब तक कि वह प्राथमिकता क्षेत्र को ऋण (प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग) में न लिया जा रहा हो।
मल्होत्रा ने यह भी साफ किया कि गोल्ड लोन पर आरबीआई एक निर्णायक फ्रेमवर्क जल्द ही जारी करेगा। इससे सभी बैंकों और एनबीएफसी के लिए साफ दिशा-निर्देश तय किये जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि अभी कुछ बैंक गोल्ड लोन में ब्याज और मूलधन दोनों को एलटीवी की गणना में शामिल कर रहे हैं, जिससे एलटीवी सीमा के उल्लंघन की संभावना बढ़ती है। वहीं, कुछ छोटे बैंक और एनबीएफसी तो 88% तक एलटीवी दे रहे हैं, जो जोखिम को बढ़ा देता है।
दरअसल गोल्ड लोन आम तौर पर निम्न और मध्यम वर्ग के लोग लेते हैं। इनमें स्वरोजगार करने वाले, छोटे दुकानदार, किसान, महिलाएँ और ग्रामीण लोग प्रमुख हैं। अक्सर इन लोगों के लिए गोल्ड लोन उनके लिए बड़ी जरूरतों को पूरा करने का एक प्रमुख जरिया होता है। इसके लिए न तो उन्हें कोई सैलरी स्लिप दिखानी पड़ती है और न ही आय कर रिटर्न। बस सोना लेकर जायें और उसके बदले ऋण के पैसे घर लेकर आयें। जानकारों का मानना है कि एलटीवी सीमा में बढ़ोतरी से कर्ज लेने वालों को ज्यादा राशि मिल पायेगी।
वित्त मंत्रालय का सुझाव आरबीआई ने माना
हाल ही में वित्त मंत्रालय ने आरबीआई को सुझाव दिया था कि वह सोने के बदले कर्ज देने के मसौदा दिशानिर्देशों (ड्राफ्ट गाइडलाइन) से 2 लाख रुपये तक के छोटे कर्जदारों को बाहर रखे। वित्त मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा कि था आरबीआई द्वारा जारी किये गये गोल्ड लोन संबंधी मसौदा दिशानिर्देशों की समीक्षा वित्तीय सेवाएँ विभाग (डीएफएस) ने की है। मंत्रालय ने आरबीआई से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि गोल्ड लोन लेने वाले छोटे कर्जदारों पर इन नियमों का कोई नकारात्मक असर न पड़े।
(शेयर मंथन, 07 जून 2025)
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