
मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत में भयानक गरीबी में जी रहे लोगों को राहत मिली है। बीते एक दशक में भारत ने न सिर्फ गरीबी के खिलाफ जंग में महत्वपूर्ण पड़ाव पार किया है, बल्कि दुनिया में अपने आर्थिक मजबूती का डंका भी बजाया है।
विश्व बैंक की रिपोर्ट 'पावर्टी ऐंड शेयर्ड प्रॉस्पेरेटी' में सोमवार (09 जून) को दावा किया गया है कि बीते एक दशक यानी 2011-12 से 2022-23 के बीच भारत में अति गरीबों की संख्या में गिरावट आयी है। पहले जहाँ हर चार में एक भारतीय गरीबी की रेखा के नीचे था, वहीं अब ये आँकड़ा घट कर सिर्फ 5.3% रह गया है।
विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में गरीबी रेखा की सीमा में बदलाव किया है। पहले प्रति दिन 2.15 डॉलर तक खर्च करने वाले व्यक्ति गरीबी रेखा से नीचे था, वहीं अब इसे संशोधित कर 3 डॉलर (257 रुपये) प्रति दिन कर दिया गया। 2021 की कीमतों के मुताबिक 257 रुपये रोज खर्च करने वाला शख्स गरीबी रेखा से नीचे माना जायेगा। वहीं, 2024 में 5.44% लोग रोजाना 257 रुपये से भी कम खर्च में जीवन गुजार रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीबी रेखा सीमा के पुराने मानक के मुताबिक जहाँ इस अवधि में लगभग 17 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से बाहर आये हैं। 2011-12 में अत्यधिक गरीबी दर 27.1% थी। यानी पहले 34.4 करोड़ लोग भयानक गरीबी में जी रहे थे, जबकि नये मानक के हिसाब से 3 डॉलर प्रति दिन खर्च करने वाले अब इस श्रेणी में 7.5 करोड़ लोग हैं। इस लिहाज से देखा जाये तो 26.9 करोड़ लोग भयानक गरीबी के दंश से बाहर आ गये हैं।
इसके अलावा रिपोर्ट में बताया गया है कि गाँव और शहरों में गरीबों के बीच का अंतर भी कम हुआ है। ग्रामीण क्षेत्र में अति गरीबों की आबादी 18.4% से घटकर 2.8% पर आ गयी है, वहीं शहरी गरीबों की आबादी 10.7% से कम हो कर 1.1% पर आ गयी है। इस तरह से देखा जाये, तो पहले ये अंतर 7.7% था, जो अब घटकर 1.7% रह गया है।
देश के 5 प्रमुख राज्यों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में 54% आबादी अति गरीब है। जबकि, 2011-12 इन राज्यों में 65% लोग भयानक गरीबी में जी रहे थे। खास बात यह है कि 2022-23 में गरीबी संख्या कम करने में भी इन्हीं राज्यों का सबसे ज्यादा योगदान रहा है।
विश्व बैंक की यह रिपोर्ट विकासशील देशों में गरीबी और असमानता की तस्वीर बयां करती है। भारत की स्थिति इस मामले में जहाँ सुधरी है, वहीं पाकिस्तान में हालात बद से बदतर हो गये हैं। पड़ोसी देश में 2017-18 में अत्यंत गरीब आबादी 4.9% थी, जो 2020-21 में बढ़ कर 16.5% हो गयी। यानी 5 साल की अवधि में यहाँ के हालात तीन गुना खराब हो गये।
(शेयर मंथन, 10 जून 2025)
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