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वैश्‍विक बाजारों की तरह ही बर्ताव करेंगे भारतीय बाजार

सिद्धार्थ रस्‍तोगी

एमडी एवं सीओओ, ऐंबिट ऐसेट मैनेजमेंट

हम एक बड़ी तेजी (बुल रन) के आरंभ में हैं। इस गाड़ी पर सवार हो जायें, नहीं तो पीछे छूट जाने का डर सताने लगेगा। मजबूत कृषि, एफडीआई में तेजी और मैन्युफैक्चरिंग के दम पर आ रही वृद्धि भारतीय बाजार की मुख्य सकारात्मक बातें हैं। दूसरी ओर अमेरिका में महँगाई दर और उनका बढ़ता सरकारी घाटा (फिस्कल डेफिसिट) एवं ऋण स्तर प्रमुख चिंताएँ हैं।

चालू वित्त-वर्ष में देश की जीडीपी 7% और अगले वित्त-वर्ष में 7.8% रह सकती है। भारतीय बाजार अगले एक साल में वैश्‍विक बाजारों की तरह ही बर्ताव करेंगे। अगले छह महीने में भारतीय बाजार को महँगाई और ब्‍याज दरें सबसे ज्‍यादा प्रभावित करेंगी। इस दौरान अमेरिकी महँगाई और फेडरल रिजर्व की दरें मुख्य वैश्विक कारक रहने वाली हैं। रिजर्व बैंक अभी दो तिमाहियों तक ब्‍याज दरें स्थिर रखने की तैयारी में है।
अगले छह महीने में सेंसेक्स 66,500 और निफ्टी 19,700 के करीब रह सकता है। एक साल की अवधि में निफ्टी 20,700 और सेंसेक्स 70,000 तक जाने का अनुमान है।

(शेयर मंथन, 10 जुलाई 2023)

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