काबिल, कर्मठ, ईमानदार की दुर्घटना
राजीव रंजन झा :
एक रेस्टोरेंट के ग्राहक बड़े नाखुश थे। खाना अच्छा नहीं था। वेटरों को तमीज नहीं थी। ऑर्डर देने के बाद खाना कब टेबल पर आयेगा मालूम ही नहीं पड़ता था। खाने के बीच में दो रोटी और मंगा ली तो शायद दोपहर से शाम भी हो जाये आते-आते।