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...तो सेबी के लिए मामला बनता है

पृथ्वी हल्दिया, एमडी, प्राइम डेटाबेस

बाजार में कभी हर निवेशक के पास एक बराबर सूचनाएँ नहीं होती हैं। अगर आप खुद अपनी खोजबीन और शोध (रिसर्च) करके कुछ सूचनाएँ हासिल करते हैं और उसके आधार पर निवेश का कोई फैसला करते हैं, तो उसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन अगर किसी को कोई अतिरिक्त जानकारी खुद कंपनी से मिली है, या उसने गलत साधनों का इस्तेमाल करके कंपनी से वह सूचना निकाल ली है और उसके आधार पर उसने कोई सौदा या निवेश किया है तो यह इनसाइडर ट्रेडिंग का मामला है।

विलय-अधिग्रहण की बातचीत के दौरान होने वाली ड्यू डिलिजेंस में मिली जानकारी भी गोपनीय होती है और उसके आधार पर दूसरा पक्ष खुले बाजार में खरीद-बिक्री नहीं कर सकता। इस तरह की बातचीत में बाकायदा नॉन-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट (एनडीए) किया जाता है। अगर अनौपचारिक बातचीत में भी ऐसी संवेदनशील सूचनाएँ मिली हों, जिनका असर शेयर भावों पर हो सकता है और जो सभी निवेशकों के बदले केवल उस निवेशक को उपलब्ध करायी गयी हों, तो उसके आधार पर खुले बाजार में कोई कदम उठाना कानूनन गलत है। मैंने एलएंडटी के चेयरमैन ए एम नाइक का बयान सुना नहीं है, और यह समझना होगा कि उन्होंने ठीक-ठीक क्या कहा है। लेकिन अगर उन्होंने यह कहा है कि सरकार और सत्यम के बोर्ड से बातचीत की वजह से उनके पास “कहीं अधिक जानकारियाँ” हैं और उनकी वजह से उन्होंने सत्यम शेयरों की ताजा खरीदारी की है, तो सेबी के लिए एक मामला बनता है।

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