
वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने शनिवार (01 फरवरी) को पेश बजट में आम करदाताओं के लिए कई राहतें प्रदान कीं। उन्होंने डिविडेंड से होने वाली आय पर टीडीएस का दायरा बढ़ाने की भी घोषणा की है। बजट में घोषित ये बदलाव 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे।
अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि लाभांश से होने वाली 10000 रुपये तक की आय पर स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) नहीं की जायेगी। अभी तक लाभांश से होने वाली 5000 रुपये तक की आय पर टीडीएस छूट थी। इससे अधिक आय पर 10% की दर कर देय था।
आयकर की धारा 194 के तहत लाभांश देने वाली कंपनी लाभांश राशि 5000 रुपये से अधिक होने पर 10% की दर से कर कटौती करने के बाद उसे शेयरधारक के खाते में हस्तांतरित करती हैं। इसी राशि को वित्त मंत्री ने 10000 रुपये करने का प्रस्ताव रखा है। मगर नये वित्त वर्ष या 1 अप्रैल 2025 के बाद से 10000 रुपये तक की लाभांश राशि बिना किसी कटौती के खाते में सीधे हस्तांतरित कर दी जायेगी।
पहली बार 1997 के बजट में लाभांश वितरण कर (डीडीटी) का प्रावधान किया गया था, जिसका मकसद लाभांश पर कराधान को सरल बनाना था। 2020 में खत्म किये जाने से पहले डीडीटी में कई बदलाव किये गये और कर देनदारी को शेयरधारकों से सीधे जोड़ दिया गया। ऐसा कर प्रणालि में पारदर्शिता बढ़ाने और वैश्विक मानकों के अनुरूप करने के लिए किया गया। वित्त वर्ष 2020-21 डीडीटी के खत्म होने के बाद से शेयरधारकों को प्राप्त होने वाले लाभांश पर उन पर लागू आयकर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाता है।
इन मदों में भी दी टीडीएस में राहत
लाभांश में छूट के साथ ही वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में बैंक की सावध जमा (एफडी) से होने वाली आय पर भी टीडीएस छूट का दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने सामान्य करदाता को एफडी से प्राप्त 50,000 रुपये तक ब्याज पर टीडीएस छूट देने का प्रस्ताव पेश किया। अभी 40,000 रुपये तक की ब्याज आय पर टीडीएस नहीं कटता है। वहीं, वरिष्ठ नागरिकों को 1,00,000 रुपये तक ब्याज से प्राप्त आय पर छूट देने की प्रस्ताव है। अभी उन्हें 50,000 रुपये तक की ब्याज आय पर छूट मिलती है। ये बदलाव भी 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा।
इसके अलावा, उन्होंने किराये पर टीडीएस की 2.40 लाख रुपये की वार्षिक सीमा को बढ़ाकर 6 लाख रुपये करने का प्रस्ताव पेश किया है। निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा, 'इससे टीडीएस के दायरे में आने वाले लेन-देन की संख्या कम हो जाएगी, जिससे छोटे करदाताओं को लाभ होगा, जो कम भुगतान प्राप्त करते हैं।'
(शेयर मंथन, 01 फरवरी 2025)
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