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आरबीआई (RBI) ने नहीं बदलीं ब्याज दरें, तेज आर्थिक वृद्धि और कम महँगाई की आशा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज बुधवार (1 अक्टूबर) को अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में लिये गये निर्णयों की घोषणा की।

इस बैठक में उम्मीद के मुताबिक रेपो दर और नीतिगत रुख को यथावत रखा गया, लेकिन इसके साथ ही विकास दर के अनुमान को ऊपर की ओर संशोधित किया गया। वहीं, महँगाई दर (Inflation Rate) के पूर्वानुमान को घटाया गया। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि हाल के महीनों में भारत की वृद्धि-महँगाई संतुलन की स्थिति बेहतर हुई है।

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की यह द्वैमासिक बैठक 29 और 30 सितंबर को हुई। उसके बाद आज गवर्नर संजय मल्होत्रा ने एमपीसी के निर्णयों की जानकारी दी। इस दौरान गवर्नर मल्होत्रा ने नीतिगत दरों पर निर्णय का ऐलान तो किया ही, इसके साथ ही उन्होंने हालिया जीएसटी सुधारों, इस साल के बेहतर मॉनसून और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की सरकार द्वारा भारत पर लगाये गये भारी-भरकम शुल्क जैसे विविध मुद्दों पर भी अपनी राय सामने रखी।

रिजर्व बैंक की इस एमपीसी बैठक के मुख्य निर्णय इस प्रकार रहे :

रेपो दर और नीतिगत रुख यथावत : गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि एमपीसी ने सर्वसम्मति से रेपो दर को 5.5% पर यथावत रखने का निर्णय लिया। साथ ही नीतिगत रुख भी तटस्थ बनाये रखा गया। गवर्नर ने बताया कि स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) दर 5.25%, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) और बैंक दर 5.75% पर बनी रहेंगी। आरबीआई ने जून में रेपो दर 50 आधार अंकों की कटौती की थी। उसके बाद अगस्त में हुई एमपीसी बैठक में भी इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया था। रिजर्व बैंक इस साल 3 बार रेपो दर में कटौती कर चुका है। सबसे पहले फरवरी में 25 आधार अंकों की कटौती हुई थी। उसके बाद अप्रैल में भी 25 आधार अंकों की कटौती की गयी थी। इस तरह इस साल रिजर्व बैंक रेपो रेट को पहले ही 100 आधार अंक कम कर चुका है। 100 आधार अंक का मतलब 1% अंक होता है।

आर्थिक वृद्धि का अनुमान : रिजर्व बैंक ने वित्त-वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के अनुमान को 6.5% से बढ़ा कर 6.8% कर दिया। गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि सामान्य से बेहतर मॉनसून, खरीफ बुवाई में प्रगति और पर्याप्त जलाशय स्तर से ग्रामीण माँग मजबूत होगी। सेवा क्षेत्र की मजबूती और रोजगार की स्थिति भी माँग को सहारा देगी। हालाँकि अमेरिका की टैरिफ नीति के चलते बाहरी माँग पर जोखिम बना हुआ है। जीडीपी वृद्धि के अनुमानों में हुए संशोधन इस प्रकार हैं :

  • चालू वित्त-वर्ष की दूसरी तिमाही : 6.7% से बढ़ा कर 7%
  • चालू वित्त-वर्ष की तीसरी तिमाही : 6.6% से घटा कर 6.4%
  • चालू वित्त-वर्ष की चौथी तिमाही : 6.3% से घटा कर 6.2%
  • अगले वित्त-वर्ष की पहली तिमाही : 6.6% से घटा कर 6.4%

महँगाई के अनुमान घटे : केंद्रीय बैंक ने वित्त-वर्ष 2025-26 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति यानी खुदरा महँगाई का अनुमान 3.1% से घटा कर 2.6% कर दिया। गवर्नर ने कहा कि खरीफ फसल, पर्याप्त जल भंडार और अनाज के मजबूत भंडार से खाद्य कीमतें संयमित रहने की संभावना है। उन्होंने महँगाई कम करने में हालिया जीएसटी सुधारों को भी सहायक बताया। महँगाई दर के अनुमानों में हुए संशोधन इस प्रकार हैं :

  • चालू वित्त-वर्ष की दूसरी तिमाही : 2.1% से घटा कर 1.8%
  • चालू वित्त-वर्ष की तीसरी तिमाही : 3.1% से घटा कर 1.8%
  • चालू वित्त-वर्ष की चौथी तिमाही : 4.4% से घटा कर 4%
  • अगले वित्त-वर्ष की पहली तिमाही : 4.9% से घटा कर 4.5%

भारतीय रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण : आरबीआई ने भारतीय रुपये को सीमा पार लेन-देन में अधिक उपयोगी बनाने के लिए कई प्रस्ताव दिये। इनमें भूटान, नेपाल और श्रीलंका के निवासियों को रुपये में ऋण देने की अनुमति, प्रमुख व्यापारिक साझेदार देशों की मुद्राओं के लिए पारदर्शी संदर्भ दर (रेफरेंस रेट) तय करना और एसआरवीए खातों की शेष राशि का उपयोग कॉर्पोरेट बॉन्ड और वाणिज्यिक पत्रों में निवेश करने की अनुमति शामिल है।

ऋण प्रवाह को समर्थन : रिजर्व बैंक ने बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने, ऋण प्रवाह सुधारने और कारोबारी सुगमता बढ़ाने के लिए कई अतिरिक्त कदमों की घोषणा की, जो इस प्रकार हैं :

  • जोखिम-आधारित जमा बीमा (डिपॉजिट इन्श्योरेंस) प्रीमियम का प्रस्ताव।
  • सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों पर ऋण सीमा की छूट, शेयरों पर ऋण की सीमा 20 लाख रुपये से बढ़ा कर 1 करोड़ रुपये और आईपीओ वित्तपोषण की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ा कर 25 लाख रुपये।
  • बुनियादी संरचना परियोजनाओं के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के ऋण पर जोखिम भार में कमी।
  • बैंकों को उधारकर्ताओं के चालू खाते और नकद ऋण/ओवरड्राफ्ट खाते खोलने में अधिक लचीलापन।
  • विदेशी निवेशकों को भारत में कारोबार स्थापित करने संबंधी फेमा नियमों का सरलीकरण।

(शेयर मंथन, 1 अक्टूबर 2025)

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