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कॉटन में बनी रह सकती है तेजी, चना में नरमी का रुझान - एसएमसी

कॉटन वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 22,000 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ तेजी बरकरार रहने की संभावना है।

यूएसडीए ने अपनी दिसंबर की रिपोर्ट में 2018-19 में विश्व स्तर पर कपास के उत्पादन को नवंबर के अनुमान 119.39 मिलियन बेल से कम करके 118.74 मिलियन बेल कर दिया है। इसके साथ ही भारत में कपास के उत्पादन को 28 मिलियन बेल से कम करके 27,050 मिलियन बेल कर दिया। भारत में कपास का अंतिम स्टॉक 8.58 मिलियन बेल से कम करके 8.08 मिलियन बेल कर दिया गया है। लेकिन यूएसडीए ने भारत के कपास निर्यात और आयात को नवंबर के क्रमशः 4.30 मिलियन बेल और 1.50 मिलियन बेल से बढ़ा कर 4.40 और 1.60 मिलियन बेल कर दिया।
ग्वारसीड वायदा (जनवरी) की कीमतें 4,330-4,450 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार कर सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में वापसी के बाद ग्वारगम निर्यात को लेकर उम्मीद से पेराई के लिए ग्वारसीड की माँग बढ़ी है।
चना वायदा (जनवरी) की कीमतों में 4,450-4,400 रुपये तक गिरावट दर्ज की जा सकती हैं। चना दाल और बेसन की कम बिक्री के बाद मिलों की ओर से चना की कम खरीदारी के कारण कल देश के प्रमुख हाजिर बाजारों में चना की कीमतों में नरमी का रूझान है। नाफेड द्वारा मौजूदा कीमतों पर स्टॉक बेचने से कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। कम खरीदारी के कारण इंदौर बाजार में काबुली चना की कीमतों में 50 रुपये प्रति 100 किलो ग्राम की गिरावट हुई है। मुंबई और मुंद्रा बंदरगाह पर ऑस्ट्रेलियाई चने की कीमतें 50-100 रुपये की गिरावट के साथ 4,500 रुपये प्रति 100 किलो ग्राम हो गयी हैं (शेयर मंथन, 12 दिसंबर 2018)

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