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क्या 80% वापसी वाकई कारगर है?

राजीव रंजन झा : राग बाजारी के नियमित पाठक जानते होंगे कि मैं अक्सर किसी शिखर से तलहटी या फिर तलहटी से शिखर की वापसी (रिट्रेसमेंट) के स्तरों का जिक्र करता हूँ।
भावों के तकनीकी विश्लेषण में यह बड़ा लोकप्रिय औजार है, इसलिए मुझे उम्मीद रहती है कि ज्यादातर पाठक इसे आसानी से समझते होंगे। तमाम चैनलों पर भी विभिन्न विश्लेषकों की बातों में आप फिबोनाची रिट्रेसमेंट की चर्चा सुन लेते होंगे। लेकिन अभी एक गपशप में मुझसे किसी ने पूछ लिया कि मैं कई बार 80% वापसी का जिक्र क्यों करता हूँ। दरअसल फिबोनाची रिट्रेसमेंट के आधार पर किये जाने वाले विश्लेषण में 80% वापसी का कोई पड़ाव नहीं बनता। इसलिए उनका सवाल वाजिब था। 
जो लोग इस विषय को अच्छी तरह जानते हैं, वे कुछ बड़ी आरंभिक बातों का जिक्र करने के लिए क्षमा करें, लेकिन सभी पाठकों की सुविधा के मद्देनजर बता दूँ कि लियोनार्डो फिबोनाची तेरहवीं शताब्दी के गणितज्ञ थे और उन्होंने कुछ खास अंकों की पहचान की। उन्होंने बताया कि इन अंकों में एक खास अनुपात के आधार पर संबंध बनता है। उन्होंने 0, 1, 1, 2, 3, 5, 8, 13, 21, 34, 55, 89, 144 वगैरह अंकों के बीच एक खास क्रम माना। ये संख्याएँ इस क्रम में क्यों लिखी गयी हैं? ध्यान दें कि 0 और 1 का जोड़ 1 है। फिर 1 और 1 का जोड़ 2, उसके बाद 1 और 2 का जोड़ 3, फिर 2 और 3 का जोड़ 5 और इसी तरह यह क्रम आगे चलता जा रहा है। इस क्रम में 5 के बाद के अंकों पर गौर करें तो अगले अंक पिछले अंक से 1.618 गुना बड़े हैं। दूसरे ढंग से ऐसे समझें कि 21 को 34 से भाग देने पर 61.8% आता है। इसी तरह 34 का अंक 55 का 61.8% है। 
इसी आधार पर तकनीकी चार्ट के विश्लेषण में 61.8% वापसी को बड़ा महत्वपूर्ण गया। इसका मतलब यह है कि किसी शिखर से गिर कर एक तलहटी को छूने के बाद भाव 61.8% की वापसी कर सकता है। जो मूल फिबोनाकी संख्याएँ हैं, उन्हीं के बीच आपसी संबंधों के आधार पर वापसी के कुछ और खास स्तरों की भी पहचान की गयी। इस तरह फिबोनाची रिट्रेसमेंट के स्तर 23.6%, 38.2%, 61.8% और 100% माने गये। ध्यान दें कि इसमें 50% और 80% वापसी को नहीं रखा गया है। 
दरअसल 23.6% और 38.2% के फिबोनाची स्तर स्तर कैसे निकाले गये, इसे भी समझ लेते हैं। अगर मूल फिबोनाकी अंकों के क्रम में एक अंक छोड़ कर अगले अंक की तुलना में प्रतिशत निकालेंगे तो लगभग 38.2% मिलेगा। मिसाल के तौर पर 34 से 13 को भाग देने पर 38.2% मिलेगा। इसी तरह 55 से 21 को भाग देने पर भी यही अनुपात मिलेगा। अब अगर दो अंक छोड़ कर अगले अंक से यही प्रक्रिया दोहरायें तो 23.6% का अनुपात मिल जाता है। जैसे, 13 को 55 से भाग दें या 21 को 89 से भाग दें तो आपको 0.236 यानी 23.6% मिलेगा। 
सवाल है कि जब ठीक अगली संख्या से भाग देने पर 61.8%, एक अंक छोड़ कर अगली संख्या से भाग देने पर 38.2% और दो अंक छोड़ कर अगली संख्या से भाग देने पर 23.6% के स्तर मिले, तो बीच 50% का स्तर कैसे आ गया? और फिर 80% की बात कहाँ से आयी?
मैं इस विषय की खास जानकारी रखने का दावा नहीं कर सकता, लेकिन शायद फिबोनाची की मूल अवधारणा को मानने वाले कुछ गणितज्ञों या कारोबारियों ने ये स्तर बाद में जोड़े। उन्होंने भावों के उतार-चढ़ाव का अध्ययन करते समय पाया कि अक्सर भाव 50% और 80% के स्तरों से भी पलटते हैं। कुछ लोगों के मुताबिक 80% के बदले 78.6% या 76.4% का स्तर बनता है। बहरहाल, व्यवाहारिक अनुभव के आधार पर इन्हें भी वापसी के प्रमुख स्तरों में मान लिया गया। इसलिए शायद शुद्ध रूप से फिबोनाची संख्याओं और अनुपातों को तवज्जो देने वाले विश्लेषक इन्हें नहीं मानते, लेकिन कई विश्लेषक इन स्तरों से वापसी की संभावना भी लेकर चलते हैं। 
मैं इस विषय में कोई ज्यादा पढ़ा-लिखा व्यक्ति नहीं। मुझे तकनीकी विश्लेषण की कोई नयी बात सुनने को मिलती है तो सबसे पहले उसे सेंसेक्स-निफ्टी और कुछ खास शेयरों पर आजमा कर देखता हूँ। अगर ठीक बैठता लगा तो आगे के अनुमानों में उस बात को इस्तेमाल करने की कोशिश करता हूँ। इस क्रम में मैंने यह भी पाया है कि एक ही तकनीकी औजार किसी एक सूचकांक या शेयर में बड़ा अच्छा चलता है तो दूसरे सूचकांक या शेयर में एकदम बेकार हो जाता है। इसलिए यह देखते-समझते रहने की चीज है, कोई एक लाठी उठा कर हर जगह नहीं हांकी जा सकती। 
खैर, अब सवाल यह है कि क्या भारतीय शेयर बाजार में 50% और 80% वापसी के स्तर कारगर रहते हैं? सवाल 50% को लेकर कम, 80% को लेकर ज्यादा होते हैं क्योंकि मैंने 50% वापसी के बारे में काफी विश्लेषकों से सुना है। लिहाजा 80% वापसी की परीक्षा के लिए मैंने कई सूचकांकों और शेयरों के चार्ट छान डाले। पहले निफ्टी की बात। 
इसने दिसंबर 2011 में 4531 की तलहटी बनाने के बाद फरवरी 2012 में 5630 का शिखर बनाया। इसकी 61.8% वापसी 4950 और 80% वापसी 4750 बैठती है। जून 2012 में निफ्टी 61.8% वापसी पर सहारा लेने के बदले 80% वापसी के ठीक ऊपर 4770 से पलटा। 
इससे पहले नवंबर 2010 के महीने में निफ्टी ने 6339 से 5690 तक की तीखी गिरावट दर्ज की थी। इसकी 61.8% वापसी 6091 पर और 80% वापसी 6209 पर थी। जनवरी 2011 में निफ्टी 6181 तक वापस सँभला, यानी 61.8% वापसी पर सहारा लेने के बदले यह 80% वापसी के काफी करीब चला गया। 
इन दोनों उदाहरणों में निफ्टी 80% वापसी से कुछ पहले ही सँभल गया। लेकिन फरवरी 2011 की एक उछाल की वापसी में इसने 80% का स्तर कुछ अंतर से पार कर लिया। इसने 5178 से 5599 तक की उछाल दर्ज की थी, जिसकी 80% वापसी 5262 पर थी। लेकिन यह इसके भी नीचे जाकर 25 फरवरी 2011 को 5233 तक फिसलने के बाद वापस सँभला। 
ऐसा ही हमें साल 2010 की पहली छमाही में देखने को मिला। यह 8 फरवरी 2010 को 4675 की तलहटी बनाने के बाद 7 अप्रैल 2010 को 5400 तक चढ़ा। इस उछाल की 80% वापसी 4820 पर थी। लेकिन मई 2010 में निफ्टी 4786 तक गिरने के बाद वापस सँभला। 
इससे कुछ और पहले का चार्ट देखें तो नवंबर 2009 में 4539 के निचले स्तर से जनवरी 2010 में 5311 तक की उछाल आयी थी। इस उछाल की 80% वापसी का स्तर 4693 था। फरवरी 2010 में निफ्टी इसके थोड़ा नीचे 4675 तक गिरने के बाद वापस पलटा। 
इन सारे उदाहरणों से साफ है कि हम 80% वापसी के स्तर को ध्यान में रखें तो अच्छा ही है। निफ्टी के इन उदाहरणों के अलावा ऐसी ही स्थिति हम भारतीय शेयर बाजार के कई दिग्गज शेयरों के चार्ट पर भी देख सकते हैं। यहाँ एक बात याद रखें कि भाव एकदम ठीक-ठीक किसी फिबोनाची रिट्रेसमेंट के स्तर से ही पलटना जरूरी नहीं होता। वापसी के ये स्तर मोटा-मोटा लक्ष्य देते हैं। उसके थोड़ा ऊपर-नीचे से भाव पलटना आम बात है और इसे ध्यान में रख कर ही कारोबारी रणनीति बनानी चाहिए। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 27 मई 2013)

Comments 

rajiv
0 # rajiv -0001-11-30 05:21
Sir,
Wah.....Nice Clearification.
Thanks for Very Usefull Knowledge.
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