ऋतु जैन का सवाल गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) को लेकर है। आइए, बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार से जानते हैं कि शेयरों में आगे क्या होने की संभावना है?
बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार इस सवाल के जवाब में कहते हैं कि तकनीकी तौर पर देखें तो GRSE इस समय बेस फॉर्मेशन की प्रक्रिया में है और शेयर अपने 200 मूविंग एवरेज के आसपास घूम रहा है। यह एक अहम स्तर होता है, जहां से या तो स्टॉक संभलता है या फिर कमजोरी और गहराती है। फिलहाल साफ संकेत तभी मिलेंगे जब शेयर मजबूती के साथ ₹2700 के ऊपर निकल पाए। इससे पहले इसमें “वेट एंड वॉच” की रणनीति ही बेहतर मानी जाएगी।
हालांकि, इसमें शॉर्ट कवरिंग के अच्छे चांस बने हुए हैं, लेकिन जब तक 2700 रुपये के ऊपर ब्रेकआउट नहीं आता, तब तक किसी बड़े ट्रेंड की पुष्टि नहीं होती। अभी जो स्ट्रक्चर बन रहा है, उसमें क्लासिक डबल बॉटम या साफ-सुथरा “W पैटर्न” नजर नहीं आता। अगर ऐसा पैटर्न बनता भी है, तो वह काफी चौड़ा होगा और उसमें समय लग सकता है। मौजूदा कंसोलिडेशन जून 2025 से चल रहा है और संभव है कि दाईं ओर का हिस्सा बनने में भी कई महीने लगें। इसलिए मौजूदा स्थिति में जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है। जिन निवेशकों के पास पहले से यह शेयर है, उन्हें फिलहाल सिर्फ ऑब्जर्व करना चाहिए और चार्ट को वैसे ही रहने देना चाहिए। अभी टाइड पूरी तरह बदली नहीं है, इसलिए नए फैसले लेने से बेहतर है कि बाजार के अगले संकेतों का इंतजार किया जाए।
इसी वजह से 40-45 गुना का वैल्यूएशन इस तरह के सरकारी डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट बिजनेस के लिए महंगा माना जा सकता है। बाजार ने अगले कुछ साल की ग्रोथ को पहले ही काफी हद तक प्राइस इन कर लिया है। अब अगला बड़ा ट्रिगर फरवरी में आने वाला बजट और उसके बाद मिलने वाले नए ऑर्डर होंगे। तब तक GRSE में धैर्य रखना, जल्दबाजी से बचना और हालात को ध्यान से देखना ही सबसे समझदारी भरा कदम होगा।
(शेयर मंथन, 20 दिसंबर 2025)
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