विप्रो के फीके नतीजों के बाद इसके शेयर भाव में गिरावट आयी है। हालाँकि कई विश्लेषकों का मानना है कि शेयर भाव में गिरावट के लिए इन नतीजों के बदले बाजार की मौजूदा स्थितियाँ ज्यादा जिम्मेदार हैं। वहीं बायोकॉन के नतीजों के बाद इसके शेयर भाव में करीब 2% की बढ़त दिख रही है। वेंचुरा सिक्योरिटीज के रिसर्च प्रमुख पशुपति सुब्रमण्यम का मानना है कि इन नतीजों के अनुमान मौजूदा बाजार भावों में पहले से ही झलक रहे हैं और इसलिए गिरावट का कारण ये नतीजे नहीं हैं।
बाजार की कमजोरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रति बाजार की चिंता को दिखा रही है। रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड, सिटीग्रुप, बैंक ऑफ अमेरिका जैसी संस्थाओं की हालत बिगड़ने की वजह से पूरी दुनिया में शेयर बाजारों की चिंताएँ बढ़ी हैं। पशुपति सुब्रमण्यम का मानना है कि विप्रो के अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के नतीजे ठीक-ठाक रहे हैं, लेकिन आगे आने वाले समय में कंपनी पर दबाव बढ़ सकता है।
बोनांजा पोर्टफोलिओ के प्रेसिडेंट (रिसर्च) पी के अग्रवाल की राय में विप्रो के नतीजे साधारण हैं। गौरतलब है कि आईटी कंपनी विप्रो ने अक्टूबर-दिसंबर 2008 की तिमाही में 1003.9 करोड़ रुपये का मुनाफा हासिल किया है। यह ठीक पिछली तिमाही से 3.5% और पिछले कारोबारी साल की तीसरी तिमाही से 18% ज्यादा है। पी के अग्रवाल मानते हैं कि इन्फोसिस को छोड़ कर बाकी सभी आईटी कंपनियों पर काफी दबाव है। उनका कहना है कि जितनी भी कंपनियाँ विदेश से आमदनी पर निर्भर हैं, उनका मुनाफा इस बात पर निर्भर करता है कि वे विदेशी मुद्रा के उतार-चढ़ाव को कितनी अच्छी तरह सँभाल पाती हैं। पिछले साल रुपये के मूल्य में काफी उतार-चढ़ाव रहा है, जिसका असर बायोकॉन के नतीजों पर देखा जा सकता है। उनका कहना है कि आने वाले समय में, खास तौर पर अप्रैल से रुपये के मूल्य में स्थिरता आने की उम्मीद है और उसके बाद बायोकॉन जैसी कंपनियों पर दबाव घटने की उम्मीद रहेगी।