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डॉनल्ड ट्रंप के 'टैरिफ टेरर' से टूटा रुपया, इन चीजों पर लग सकता है तगड़ा शुल्क

अभी डॉनल्ड ट्रंप को अमेरिका के राष्ट्रपति बने हुए एक महीने का वक्त भी नहीं हुआ है, मगर उनके तेवर और बयानबाजी रुपये पर भारी पड़ रहे हैं। डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है, जबकि रुपया कमजोर।

रुपये में रिकॉर्ड गिरावट

10 फरवरी को ये कमजोरी इतनी बढ़ी कि डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड 87.99 के स्तर तक लुढ़क गया। अब तक इतिहास में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में ये सबसे ज्यादा कमजोरी है।

रुपये में गिरावट के कारण

रुपये में आई इस गिरावट के पीछे सबसे बड़ा कारण ट्रंप का वो बयान है जिसमें उन्होंने दूसरे देशों (यानी कनाडा, मैक्सिको और चीन के अलावा) पर पारस्परिक शुल्क लगाने की बात कही थी। ट्रंप ने कहा था कि अमेरिकी समानों पर जो देश जितना शुल्क लगाएगा अमेरिका भी उन देशों पर उसी अनुपात में शुल्क लगाएगा। साथ ही उन्होंने स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर अतिरिक्त 25% शुल्क लगाने की बात भी कही।

हालाँकि उन्होंने अपने इस बयान में न तो किसी देश का नाम लिया और न ही भारत का। लेकिन बयान के बाद गिरता डॉलर एक बार फिर मजबूत होने लगा। डॉलर सूचकांक दोबारा 108 के पार निकल गया जिसका खामियाजा रुपये को भुगतना पड़ा।

जब से ट्रंप बने अमेरिकी राष्ट्रपति

तारीख डॉलर के मुकाबले रुपया डॉलर इंडेक्स

20 जनवरी 86.20 109.32

31 जनवरी 86.68 108.40

3 फरवरी 87.30 109.75

10 फरवरी 87.99 108.30

आरबीआई देगा दखल?

बाजार उम्मीद कर रहा है कि रुपये की गिरावट को थामने के लिए आरबीआई जल्द ही कोई न कोई कदम जरूर उठाएगा। हालाँकि सरकारी बैंक डॉलर बेच रहे हैं और जानकारों का मानना है कि ये आरबीआई के कहने पर ही हो रहा है।

जमकर हो रही है राजनीति

रुपये की गिरावट पर राजनीति भी जमकर हो रही है। विपक्ष सरकार पर हमलावर है और उसे वो बयान याद दिला रहा है जब 2014 से पहले एनडीए विपक्ष में और यूपीए केंद्र में थी। उस समय एनडीए ने रुपये कि गिरावट को ‘राष्ट्रीय शर्म’ कहते हुए उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की माँग की थी। हालाँकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि रुपये में गिरावट चिंता का विषय है। दूसरी मुद्राओं के मुकाबले रुपये में स्थिरता बनी हुई है।

क्या पहली बार गिरा है रुपया?

डॉलर के मुकाबले रुपये की ये गिरावट पहली बार नहीं हैं। आजादी के बाद से रुपया लगाता कमजोर हुआ है या कहें कि सरकारों ने हालात को देखते हुए कमजोर किया है। 2000 से 2010 के बीच एक डॉलर की कीमत 44 से 48 रुपये के बीच ही थी, लेकिन अगले 10 वर्षों में ये अंतर तेजी से बढ़ गया।

डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी

साल डॉलर के मुकाबले रुपया

2004-2014 (यूपीए सरकार) 45-62 रुपये के बीच

2014-2024 (एनडीए सरकार) 62-83 रुपये के बीच

2010 से 2020 के बीच डॉलर के मुकाबले रुपया 45-76 के बीच था। लेकिन 2025 की शुरुआत में ही डॉलर 87 रुपये के पार चला गया। 1970 के दशक में 1 डॉलर 8 रुपये के बराबर था। लेकिन फिर 1991 में डॉलर का भाव 20 रुपये, 1998 में 40 रुपये और 2012 में 50 रुपये का स्तर पार कर गया। वहीं अब 2025 में यह 90 के करीब पहुँच रहा है।

(शेयर मंथन, 12 फरवरी 2025)

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