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दिसंबर में मारुति की बिक्री 10% घटी

देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी की बिक्री में दिसंबर महीने में 10% की गिरावट आयी है। दिसंबर 2007 में 62,515 कारों की बिक्री करने वाली कंपनी दिसंबर 2008 में 56,293 कार ही बेच पायी है। मारुति सुजुकी की ए-1 सेगमेंट कारों की बिक्री में करीब 60% की गिरावट आयी है, लेकिन इसके लिए उत्साहजनक बात यह है कि ए-3 सेगमेंट कारों की बिक्री में 98% की बढ़त दर्ज की गयी है।

भारतीय बाजारों में मजबूती

1.50: नये साल के पहले दिन भारतीय शेयर बाजारों ने कारोबार की शुरुआत मजबूती के साथ की। इस समय सेंसेक्स 109 अंक चढ़ कर 9,756 पर है, जबकि निफ्टी 30 अंक ऊपर 2,989 पर है। सीएनएक्स मिडकैप सूचकांक में 1.3% की बढ़त है। बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक में 2.5% से अधिक मजबूती है। बीएसई के सभी क्षेत्रवार सूचकांक हरे निशान में हैं। बीएसई धातु सूचकांक में 3.9% और रियल्टी सूचकांक में 2.9% की बढ़त है। रिलायंस कम्युनिकेशंस में 5.5%, सत्यम कंप्यूटर्स में करीब 5%, स्टरलाइट इंडस्ट्रीज में 4.3%, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज में 3.8% और टाटा स्टील में 3.2% की मजबूती है।

2008 के सबक याद रखना जरूरी

अजय बग्गा, चेयरमैन, एफपीएसबीआई

साल 2009 आने के समय हालात ऐसे हैं कि कोई भी साल 2008 को याद नहीं रखना चाहता। यह स्थिति पिछले दिसंबर से ठीक विपरीत है, जब निवेशक बड़ी आशा और आत्मविश्वास के साथ साल 2008 का स्वागत कर रहे थे। इसके पीछे यह सोच थी कि भारतीय शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था, अमेरिकी अर्थव्यवस्था से एक हद तक अलग (डिकपल्ड) हो गये हैं। लेकिन अमेरिकी बाजारों में सबप्राइम ऋणों के कारण उत्पन्न कर्ज के संकट से शुरु होने वाली इस समस्या ने गंभीर रूप ले लिया। इसने बेयर स्टर्न्स, लेहमन ब्रदर्स, वाशिंगटन म्युचुअल और मेरिल लिंच जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं को ध्वस्त कर दिया। ऐसा क्यों हो गया?

नये साल की दूसरी छमाही विकास के अनुकूल रहेगी

नीलेश शाह, डिप्टी एमडी, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी

वैश्विक और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए साल 2009 संक्रमण का साल होगा। देश के लिए साल के पहले 6 महीने बुनियादी बातों के बजाय घटनाओं से संचालित होंगे। इस दौरान जारी किये जाने वाले आर्थिक आँकड़े वैश्विक स्तर पर कमजोरी और उसकी वजह से माँग में आयी कमी के गवाह बनेंगे। कारोबार में कमी, मार्जिन पर दबाव और सरकारी घाटे की वजह से कॉरपोरेट क्षेत्र के मुनाफे पर असर पड़ेगा। वैश्विक वित्तीय संकट की वजह से पूँजी का प्रवाह सीमित हो जायेगा। इस बात पर ध्यान केंद्रित रहेगा कि राहत योजनाओं और मौद्रिक नीतियों से किस तरह विकास दर को रफ्तार को कायम रखा जाये।

मार्च से मजबूती आनी शुरू हो सकती है

पी के अग्रवाल, प्रेसिडेंट (रिसर्च), बोनांजा पोर्टफोलिओ

साल 2008 काफी असाधारण रहा है। ऐतिहासिक वित्तीय संकट ने समूचे विश्व पर असर डाला है। इस संकट ने साल 2008 की शुरुआत में बनी उन आशाओं को चकनाचूर कर दिया कि साल अमेरिकी सबप्राइम संकट के असर से भारत बचा रहेगा। जैसे-जैसे संकट गहराता गया और इसकी परतें खुलती गयीं, वैसे-वैसे यह असलियत सामने आती गयी कि ऐसी वैश्विक घटनाओं से भारत अछूता नहीं रह सकता।

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