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अक्टूबर-दिसंबर 2011 का दोहराव, यानी निफ्टी (Nifty) 5400 की ओर!

राजीव रंजन झा : करीब हफ्ते भर पहले 6 जून को मैंने लिखा था कि निफ्टी (Nifty) फ्यूचर के “खरीदारी सौदे में उतरना 6000 पार होने के बाद ही मुनासिब होगा।” 
लेकिन अगले दिन 7 जून को निफ्टी फ्यूचर 5990 तक जाने के बाद नीचे पलट गया था। वहाँ से गिरते-गिरते कल निफ्टी फ्यूचर 5692 के निचले स्तर तक आ गया। मैंने 6 जून को लिखा था कि “फ्यूचर भाव 5918 के नीचे जाने पर बिकवाली की जा सकती है। वैसी स्थिति में नीचे 5900 और फिर 5868 के लक्ष्य मिल सकते हैं।” ये लक्ष्य तो सोमवार 10 जून को ही मिल गये। कल निफ्टी फ्यूचर 5705 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी स्पॉट का बंद स्तर 5699 रहा।
क्या बाजार में अभी और गिरावट बाकी है? या इन स्तरों पर सहारा मिल सकता है? शायद इन दोनों सवालों का जवाब हाँ में है। मतलब यह कि अभी और गिरावट की संभावना बाकी लगती है, लेकिन इन स्तरों पर फिलहाल एक सहारा मिलने की गुंजाइश भी बनती है। निफ्टी स्पॉट इस समय 20 मई 2013 के ऊपरी स्तर 6229 से सवा पाँच सौ अंक से ज्यादा, यानी 8.5% फिसल चुका है। करीब 5600 तक गिरने पर इसमें 10% गिरावट आ जायेगी।
अगर जून 2012 की तलहटी 4770 से मई 2013 के शिखर 6229 तक की उछाल की वापसी देखें तो 38.2% का स्तर 5672 पर है, जहाँ सहारा मिल सकता है। हालाँकि अगर यह इसके नीचे फिसला तो मोटे तौर पर 5600-5650 पर नजर टिक जायेगी।
अगर इन समर्थन स्तरों से पलट कर निफ्टी ऊपर की ओर चला तो कहाँ तक चढ़ सकेगा? ऐसी किसी उछाल में 5765 इसका पहला स्वाभाविक लक्ष्य हो सकता है, जो अप्रैल 2013 की तलहटी 5477 से 6229 के ताजा शिखर तक की उछाल की 61.8% वापसी का स्तर है। इसके पार होने पर यह उछाल कुछ और आगे बढ़ सकेगी। वैसी हालत में निफ्टी 200 दिनों के सिंपल मूविंग एवरेज को फिर से छूने की कोशिश करेगा, जो अभी 5795 पर है। इसके आगे जाने पर 5477-6229 की 50% वापसी के स्तर 5853 पर नजर रखी जा सकती है। इससे ऊपर के स्तरों की बात सोचना अभी जरा मुश्किल लग रहा है।
यहाँ एक संभावना पर ध्यान देना जरूरी लग रहा है। निफ्टी अक्टूबर 2011 के शिखर 5400 से 869 अंक फिसल कर दिसंबर 2011 में 4531 पर आ गया था। इसके बाद यह फरवरी 2012 के शिखर 5630 से फिसल कर जून 2012 में 4770 पर आ गया, यानी एक बार फिर 860 अंक की गिरावट आयी। जिस तरह निफ्टी 6229 के ताजा शिखर से फिसला है, उसकी रफ्तार देख कर यह आशंका होती है कि कहीं यह अक्टूबर-दिसंबर 2011 और फरवरी-जून 2012 की कहानी को दोहरा तो नहीं रहा। अगर उसी तर्ज पर यह फिर से 860 अंक फिसला तो 5370 पर आ जायेगा।
दरअसल इस संभावना को इस बात से भी वजन मिलता है कि 4531 से 6229 तक की उछाल की 50% वापसी भी इसके पास 5380 पर है। अगर निफ्टी 4531-6229 की 38.2% वापसी के स्तर 5581 से नीचे गिरा तो इस संभावना को काफी बल मिल जायेगा।
हाल में जिस तरह से अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से बांडों की खरीदारी के कार्यक्रम को धीमा करने की चर्चा छिड़ी है और उसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार दबाव में आये हैं, वह भारतीय बाजार के लिए भी कोई अच्छा संकेत नहीं है। इस परिदृश्य में यह भी दिख रहा है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने बिकवाली शुरू कर दी है। कल गुरुवार 13 जून को एफआईआई ने 558 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की।
इस बीच घरेलू परिस्थितियाँ भी मददगार नहीं लग रही हैं। अर्थव्यवस्था की डाँवाडोल हालत के बीच रुपये की कमजोरी ने बाजार का भरोसा डिगा दिया है। ऐसा जरूर लगता है कि विकास दर अपनी तलहटी के पास है, लेकिन यहाँ से जल्दी ही इसमें सुधार आने लगेगा इसकी उम्मीद नहीं बन रही है। दूसरी ओर थोक महँगाई दर (डब्लूपीआई) 5% के आसपास, यानी काफी सहज स्तर पर आ जाने के बावजूद उपभोक्ता महँगाई दर (सीपीआई) ऊँची है। लिहाजा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस मोर्चे से निश्चिंत नहीं हो पा रहा।
बेशक, उद्योग जगत अरसे से कहता रहा है कि यह महँगाई ब्याज दरें ऊँची बनाये रखने से काबू में नहीं आने वाली, लेकिन ब्याज दरें घटाने पर विकास दर जरूर सुधर सकती है। लेकिन अब तक यही दिखा है कि आरबीआई ने महँगाई दर के पहलू को ज्यादा तवज्जो दिया है। अब आरबीआई की चिंता में चालू खाते का घाटा (करंट एकाउंट डेफिसिट या सीएडी) भी जुड़ चुका है, जो अपने रिकॉर्ड स्तर पर है। रुपये की कमजोरी इस चिंता को और बढ़ा रही है।
ऐसे माहौल में 17 जून को आरबीआई अपनी ब्याज दरों में कमी करेगा, इसकी उम्मीद जरा कम ही लगती है। अगर आरबीआई ने ऐसा कर दिया, तो जरूर बाजार को एक फौरी राहत मिल जायेगी। लेकिन वह राहत कितनी टिकाऊ होगी, इस बारे में कुछ कहना मुश्किल लगता है।
इन सबके बीच राजनीतिक मोर्चे पर छिड़ा घमासान हम सबके सामने है। यह साफ दिख रहा है कि सारे राजनीतिक दलों ने चुनावी तैयारी शुरू कर दी है। कई क्षेत्रीय दल कांग्रेस और भाजपा दोनों से दूरी बरत कर एक तीसरे मोर्चे की संभावना टटोलने में भी जुट गये हैं। अगर तीसरा मोर्चा जैसी कोई चीज बनती दिखाई दी, तो इससे बाजार की धारणा और भी कमजोर होगी।
ऐसे में निफ्टी आगे 5700 के आसपास सहारा लेगा या 5600 पर या फिर 5400 की ओर बढ़ेगा, यह तो भविष्य ही बतायेगा। लेकिन मोटी बात यह है कि अभी बाजार को नीचे खींचने वाली शक्तियाँ अभी ज्यादा हैं और ऊपर ले जा सकने वाली शक्तियाँ कम। इसलिए फिलहाल बाजार का रुझान नीचे का ही लगता है। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 14 जून 2013)

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