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फिर विवादों में फंसा एनएसईएल (NSEL), कारोबारियों में हलचल

नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) ने ई-सीरीज के कॉन्ट्रेक्टों को छोड़कर अगले निर्देश तक के लिए अन्य कॉन्ट्रेक्टों के कारोबार को निलंबित कर दिया है।
इसके साथ ही इसके सभी लंबित कॉन्ट्रेक्टों के डिलिवरी तथा सेटलमेंट को मर्ज करने का निर्णय लिया है। एनएसईएल 15 दिनों के बाद नया सेटलमेंट कैलेंडर जारी करेगा। इस खबर के चलते 1 अगस्त 2013 को शेयर बाजार में फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज और मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) के शेयरों में तेज गिरावट दर्ज की गयी। मीडिया में खबर है कि एनएसईएल पर 5,500 करोड़ रुपये की ट्रेडिंग पोजिशन बकाया है। हालाँकि फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज का कहना है कि एनएसईएल में उसकी कोई देनदारी नहीं है। उसको पूरा विश्वास है कि एनएसईएल मौजूदा स्थिति को नियम और कानूनी रूप से समाधान कर लेगा। उधर,  एमसीएक्स ने स्पष्टीकरण दिया है कि एनएसईएल की खबर का उसके कार्य प्रचालन तथा वित्तीय स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इन सब हलचलों के बाद सरकार ने जिंस डेरिवेटिव बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) को मामले की जाँच का आदेश दिया है। इसके साथ ही शेयर बाजार नियामक सेबी ने भी जाँच शुरू कर दी है।
गौरतलब है 12 जुलाई को उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एनएसईएल को पत्र लिखा था और इस पत्र में एनएसईएल से यह हलफनामा मांगा गया था कि कोई और कॉन्ट्रैक्ट्स लांच नहीं किए जायेंगे और सभी मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट्स अपनी तय तारीख पर सेटल होंगे। इसके बाद एनएसईएल ने टी+10 से ज्यादा के डिलीवरी शेड्यूल वाले सभी कॉन्ट्रैक्ट्स बंद कर दिये। इससे पहले लांच हुए मौजूदा टी+25 कॉन्ट्रैक्ट्स तय तारीख को सेटल होंगे। मीडिया में छपी खबरों के अनुसार, एनएसईएल का दैनिक कारोबार करीब 650-700 करोड़ रुपये का है, जो कृषि जिंसों से दो-तिहाई अधिक है। एफएमसी ने पाया कि कारोबारी अपने स्टॉक में निर्धारित जिंस के बगैर अपनी पोजीशन की बिकवाली के जरिये 'शॉर्ट सेल' में लगे हुए हैं। उदाहरण के लिए, रमेश नाम का कारोबारी किसी निर्धारित कीमत के बिना ही ऊँची कीमतें होने पर एनएसईएल में कृषि जिंस को बेच देता है। चूंकि टी+1 (इसकी खरीदारी के अगले दिन अनुबंध का निपटान) अनुबंध को 11 दिन में निपटान की अनुमति थी, ऐसे में कारोबारी रमेश 11 दिन की अवधि के अंदर कीमतों में गिरावट पर जिंस को पुन: बुक कर देता है। इसका मतलब है कि अनुबंध वायदा अनुबंध में 11 दिनों के लिए खुला रहता है। इसके तहत फॉर्वर्ड कॉन्ट्रैक्ट (रेग्युलेशन) ऐक्ट (एफसीआरए) को वायदा अनुबंध के तौर पर परिभाषित किया गया। एफएमसी ने एनएसईएल समेत स्पॉट एक्सचेंजों को यह रियायत दी थी और एक-दिन के वायदा अनुबंधों के लिए अनुमति दी थी जिससे सदस्य शॉर्ट सेल से परहेज करें। एफएमसी ने पाया था कि एनएसईएल के पास यह स्पष्ट करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है कि विक्रेता के पास फिजिकल स्टॉक है या नहीं। हालाँकि एफएमसी ने ऐसी छूट उपभोक्ता मंत्रालय की अनुमति के बाद ही दी थी, इसलिए मंत्रालय ने एफएमसी को गड़बड़ी के संबंध में एनएसईएल के खिलाफ कदम उठाये जाने के लिए पत्र लिखा था। पिछले साल अक्टूबर 2012 में खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक्सचेंज चलाने के लिए सरकार द्वारा तय की गयी कुछ शर्तो का उल्लंघन करने के बाद एनएसईएल को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। (शेयर मंथन, 03 अगस्त 2013)

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