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बजट 2014-15 विकास के लिए प्रेरणादायी : पीएचडी चैंबर (PHD Chamber)

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (PHD Chamber of Commerce and Industry) ने केंद्रीय बजट 2014-15 को प्रगतिशील बताया।

पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष शरद जयपुरिया (Sharad Jaipuria) ने कहा कि यह बजट उपभोक्ताओं, निवेशकों और सामान्य लोगों के आत्मविश्वास के निर्माण के लिए प्रेरणादायी है। इस बजट का उद्देश्य सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में आवश्यक निवेश जुटाने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ विकास बढ़ाना, अतिरिक्त रोजगार अवसरों का सृजन करना और महँगाई रोकना है। 

अर्थव्यवस्था के विभिन्न सामाजिक-आर्थिक मोर्चे पर बजट में शामिल प्रस्तावों से आगामी समय में विकास के वादे को पूरा करने के संकेत मिलते हैं। ग्रामीण बुनियादी ढाँचे, कृषि बुनियादी ढाँचे, शहरी बुनियादी ढाँचे, उत्पादन (मैन्युफैक्चरिंग) में बहाली, पर्यटन, शिक्षा, बैंकिंग और वित्त व विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) पर फोकस प्रेरणादायी है और ये सभी आर्थिक विकास को फिर से जीवंत करने के लिए कारगर होंगे। 

आयकर की सीमा 2 लाख रुपये से बढ़ा कर 2.50 लाख रुपये करने की अप्रत्याशित बढ़ोतरी, धारा 80सी के तहत निवेश की सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ा कर 1.50 लाख रुपये करने और होम लोन पर छूट 1.5 लाख रुपये से बढ़ा कर 2 लाख रुपये करने से उपभोक्ताओं व निवेशकों का आत्मविश्वास बढ़ने के साथ साथ विकास भी होगा। 

बिजली उत्पन्न करने और वितरण (ट्रांसमिट) करने वाले उपक्रमों (अंडरटेकिंग) के लिए 10 वर्षों की कर छूट का कदम प्रशंसनीय है। मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए 15% निवेश की मंजूरी से संयंत्र और मशीनरी में 25 करोड़ रूपये निवेश होंगे, जिससे पूँजीगत निवेश बढ़ेगा और मैन्युफैक्चरिंग विकास में वृद्धि होगी।

सिंचाई सुविधाओं और फार्म बाजार बढ़ाने से भूमिहीन किसानों को मदद मिलेगी और किसान टीवी से किसानों को वास्तविक जानकारी प्राप्त हो सकेगी, जिससे उन्हें कृषि क्षेत्र में उत्पदान बढ़ाने में मदद मिलेगी।

विशेष आर्थिक जोन (एसईजेड) में सुधार के कदमों से निवेश चक्र की बहाली में मदद मिलेगी और खुदरा व ई-कॉमर्स के जरिये उत्पदान इकाइयों को अपने उत्पादों को बेचने में मदद मिलेगी, जिससे बेचने की लागत कम होगी और उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ मिलेगा। 

जीएसडी (गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स) के क्रियान्वयन पर जोर और इस संदर्भ में राज्य सरकारों के साथ बातचीत उत्साहजनक है। हमारा विश्वास है कि जीएसटी कर प्रशासन को मजबूत व कारगर करेगा। कारोबार की उलझनों को दूर करेगा और इससे केंद्र और राज्य सरकारों दोनों के राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी होगी।

औद्योगिक बुनियादी ढाँचे पर ध्यान केंद्रित करने जैसे कि भारत मे 7 औद्योगिक शहरो की स्थापना की योजना से अर्थव्यवस्था में औद्योगिकरण बढ़ने और रोजगार के अवसर पैदा होंगे। 

शहर बुनियादी ढाँचे के लए 50,000 करोड़ रुपये का आवंटन वास्तव में प्रशंसनीय है और इन घोषणाओं से देश में विकास की गति बढ़ाने व आर्थिक विकास को तेजी से आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

कारोबारी साल 2014-15 में वित्तीय घाटा, जीडीपी के 4.1%, 2015-16 में 3.6% और 2016-17 में 3% तक घटाने का यह लक्ष्य अगले तीन सालों के वित्तीय कंसोलिडेशन के लिए प्रेरणादायी है। बीमा (इंश्योरेंस) और रक्षा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ाने से आगामी समय में देश में पूँजी का निवेश बढ़ेगा। (शेयर मंथन, 10 जुलाई 2014) 

 

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