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आरबीआई (RBI) ने डूबे कर्जों (NPA) पर बैंकों को दी ज्यादा शक्ति

भारतीय रिजर्व बैंकभारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने डूबे कर्जों (NPA) की समस्या से निपटने के लिए रणनीतिक ऋण पुनर्गठन (SDR) के नये मानक बनाते हुए बैंकों को ज्यादा शक्ति दी है।

इसके तहत अगर कोई कंपनी कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन (CDR) में तय किये गये लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाये तो बैंक उस कंपनी का स्वामित्व और नियंत्रण अपने हाथों में ले सकेंगे। अगर कर्ज लेने वाली कंपनी ऋण पुनर्गठन में तय शर्तों को पूरा नहीं करती है तो बैंक अपने बकाया कर्ज को बहुमत इक्विटी हिस्सेदारी में बदल लेंगे। आरबीआई के नये मानकों के अनुसार ऋण (Debt) के इक्विटी (Equity) में परिवर्तन के बाद कर्जदाता बैंकों के पास कंपनी की 51% या इससे ज्यादा इक्विटी होनी चाहिए।
ये नियम इस सोमवार से लागू कर दिये गये हैं। ऋण को इक्विटी में बदलते हुए एसडीआर को लागू करने का निर्णय खाते की समीक्षा करने के 30 दिनों के भीतर करना होगा। आरबीआई ने कहा है कि इस पर ऋण की राशि के लिहाज से 75% ऋणदाताओं और संख्या के लिहाज से 60% ऋणदाताओं की स्वीकृति जरूरी होगी। साथ ही, कर्ज देने वालों को ऐसा निर्णय करने के 90 दिनों के भीतर एसडीआर पैकेज को मंजूरी देनी होगी।
यह प्रक्रिया तब शुरू की जायेगी, जब सीडीआर विफल हो जायेगा। आरबीआई ने नये मानक तैयार करने के लिए कई बैंकों से सुझाव लिये थे और ज्यादातर बैंकों ने इनका समर्थन किया है। (शेयर मंथन, 09 जून 2015)

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