केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश के सरकारी बैंकों के हालात सुधारने के लिए इंद्रधनुष नामक योजना शुरू की है। एक प्रेस कांफ्रेस में श्री जेटली ने इस योजना के तहत सरकारी बैंकों में सुधार के लिए सात सूत्री कदमों की घोषणा की। श्री जेटली ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में सरकारी बैंकों ने खास कर कुछ क्षेत्रों में सुस्ती के कारण काफी चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना किया है। सरकार ने सरकारी बैंकों की स्थिति को सुधारने के लिए कई कदम उठाये हैं। इसलिए सरकारी बैंकों के हालात से घबराने की जरूरत नहीं है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार सरकारी बैंकों के वाणिज्यिक परिचालन में राजनीतिक हस्तक्षेप के स्तर को घटाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों द्वारा झेले जा रहे दबाव के लिए मुख्य रूप से स्टील, बिजली, राजमार्ग, वितरण कंपनियों और चीनी क्षेत्र जिम्मेदार हैं। मौजूदा समस्या को हल करने के लिए बैंकों के साथ-साथ इन क्षेत्रों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। राजमार्ग क्षेत्र में सुधार के संकेत हैं, स्टील क्षेत्र बाहरी संकटों का सामना कर रही है, चीनी क्षेत्र के लिए हम पहले ही कुछ उपायों की घोषणा कर चुके हैं और बिजली और वितरण कंपनियों के मामले में हम स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि हम एक ऐसी नीति की घोषणा कर रहे हैं जिसमें हर बैंक की निगरानी प्रमुख प्रदर्शनों मानकों के आधार पर की जायेगी। बैंक होल्डिंग कंपनी की दिशा में पहले कदम के रूप में हमने एक बैंक बोर्ड ब्यूरो का प्रस्ताव किया है।
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि पुनर्पूँजीकरण जैसे कई कदमों की घोषणा पहले ही की जा चुकी है लेकिन हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि बैंकों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए उनके हाथ में और संसाधन दिये जायें। हमने अपना कार्यक्रम बनाने के लिए बैंकों, निवेशकों, सलाहकारों आदि सबसे विचार-विमर्श किया। यह एक नीचे से ऊपर की बदलाव प्रक्रिया होगी जिसमें बैंक अपना कायाकल्प करने की दिशा में खुद बदलाव करेंगे।
वित्तीय सेवा सचिव हँसमुख अढ़िया सात सूत्री कार्यक्रम की घोषणा की। उन्होंने बताया कि पाँच सरकारी बैंकों के लिए अगले छह माह में गैर-कार्यकारी चेयरमैन की घोषणा की जायेगी। उन्होंने बताया कि बैंक ऑफ बोर्ड का चेयरमैन किसी विशिष्ट बैंकर या नियामक को बनाया जायेगा। बैंक बोर्ड ब्यूरो मौजूदा नियुक्ति बोर्ड को प्रतिस्थापित करेगा जो फिलहाल सरकारी बैंकों के पूर्णकालिक निदेशकों के लिए चयन समिति के रूप में काम करता है। बैंक बोर्ड ब्यूरो सरकार और सरकारी बैंकों के बीच कड़ी के रूप में काम करेगा और बैंकों के लिए रणनीति बनाने में भी सलाह देगा।
वित्तीय सेवा सचिव ने बताया कि पुनर्पूँजीकरण के लिए चालू वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों के लिए 25 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराने के लिए पहले ही सहमति दी जा चुकी है। सरकारी बैंकों की पूँजीगत जरूरतों के लिए अगले चार साल में 1.8 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की जरूरत होगी। इसमें से 70 हजार करोड़ रुपये सरकार उपलब्ध करायेगी। सरकारी बैंक बाजार से 1.1 लाख करोड़ रुपये जुटा सकते हैं। हर बैंक को आवंटन निर्धारित किया जा चुका है। इसका कुछ हिस्सा बैंक की जरूरतों पर निर्भर करेगा और कुछ हिस्सा बैंकों के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा।
सरकारी की रणनीति का चौथा चरण है बैंकों के लिए दबावमुक्त स्थिति बनाना। वित्तीय सेवा सचिव ने कहा कि क्या स्थिति इतनी खराब है जितनी दिखती है? इसका जवाब ना में है।वर्ष 2011 में सकल एनपीए 13% तक चला गया था। आज यह करीब 6% है।
श्री अढ़िया ने कहा कि हम सभी परियोजनाओं की निगरानी के लिए हमने वित्तीय सेवा विभाग में एक प्रकोष्ठ बनाया है। इससे हम हर परियोजना की समस्या को ठीक तरह से जानने में सक्षम होंगे और यह समीक्षा करेंगे कि सरकार, प्रवर्तक और नियामक में किसे क्या करने की जरूरत है।
श्री अढ़िया ने कहा कि सरकार डिस्कॉम के साथ वार्ता प्रक्रिया भी शुरू कर रही है। लौह एवं इस्पात उद्योग एनपीए के मामले में सबसे बड़ा क्षेत्र है। इसमें 32,000 करोड़ का एनपीए है। यह विदेशी संकट में घिरा है। हमने इस संकट को थोड़ा कम करने के लिए हाल ही में शुल्क बढ़ाया है। हमें अपने कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार को और गहराई देने और असेट रीस्ट्रक्चरिंग कंपनियों को मजबूत बनाने की जरूरत है। प्रधानमंत्रई सरकारी बैंकों में शूल्य राजनीतिक दखल के पक्षधर हैं। हमने इसे आदत बना लिया है और आपको दखल का कोई मामला नहीं मिलेगा। सरकारी बैंकों ने सरकार से कहा है कि वे मँझोले प्रबंधकीय स्तर के लिए बाजार से लोगों को चुनना चाहते हैं। सरकार यह देख रही है कि यह कैसे संभव बनाया जाये।
सरकार ने नये मुख्य प्रदर्शन संकेतकों (केपीआई) की घोषणा की है जिनके आधार पर बैंकों के प्रदर्शन का आकलन किया जायेगा। प्रशासन में सुधार के लिए सरकार ने इस साल जनवरी में बैंक प्रमुखों के साथ ज्ञान संगम का आयोजन किया था। वित्त मंत्री बैंकों के साथ तिमाही बैठक कर रहे हैं।सभी प्रमुख फैसले बैंकों के बोर्डों द्वारा लिये जा रहे हैँ। नये केपीआई ढाँचे के साथ ही सरकार सरकारी बैंकों के शीर्ष प्रबंधन के लिए प्रदर्शन आधारित बोनस बढ़ा रही है और कर्मचारियों को हिस्सेदारी विकल्प के प्रस्ताव पर भी विचार कर रही है। बैंक बोर्ड ब्यूरो बैंक होल्डिंग कंपनी की स्थापना की दिशा में पहला कदम होगा। भविष्य में बैंक होंल्डिंग कंपनी स्थापित की जायेगी जो बैंकों में सरकार की समस्त हिस्सेदारी ले लेगी और उनके प्रबंधन में सरकार की मौजूदा भूमिका का भी कुछ हिस्सा इस कंपनी के पास ही होगा।
हालाँकि बाद में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने बैंक होल्डिंग कंपनी की स्थापना के लिए कोई समय-सीमा बताने से इऩकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अंतरिम बैंक बोर्ड ब्यूरो के प्रदर्शन के आकलन के बाद फैसला किया जायेगा।