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शीर्ष उद्योग संगठनों ने की जीएसटी की राह की अड़चनें दूर करने की अपील

अखिल भारतीय व्यापार परिसंघ के जरिये फिक्की, सीआईआई, एसोचैम और पीएचडीसीसीआई समेत पूरे भारतीय उद्योग जगत ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू कराने के उद्देश्य से सभी राजनीतिक दलों से लंबे समय से लटके संविधान संशोधन विधेयक को संसद के चालू सत्र में पारित किये जाने के लिए एक स्वर में स्पष्ट अपील की है ताकि खेल बदलने वाले कर सुधार उपायों को जल्द से जल्द अमल में लाया जा सके।

इस संदर्भ में उद्योग जगत ने 'भारत में जीएसटी' विषय पर होटल अशोका में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ संवाद सत्र में एक स्वर में संकल्प पारित किया।

अपने संबोधन में अरुण जेटली ने उम्मीद जतायी कि अगर प्रत्यक्ष करों में प्रस्ताविक सुधारों के साथ जीएसटी लागू होता है तो बुनियादी ढाँचे पर व्यय जारी रहने, अगले साल मानसून लगभग सामान्य रहने के अनुमान के साथ सिंचाई पर व्यय बढ़ने और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार आने से वर्ष 2016-17 में जीडीपी दर में 1-1.5% वृद्धि न होने का कोई कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि अरविंद सुब्रमण्यम समिति की सिफारिशों के अनुरूप जीएसटी दरों का अंतिम तौर पर निर्धारण जीएसटी परिषद करेगी जो विवाद निपटारा प्रणाली विकसित करने के लिए भी अधिकृत है। जेटली ने संसद में जीएसटी बिल जल्द से जल्द पारित किये जाने के लिए भारतीय व्यापार एवं उद्योग जगत द्वारा समर्थन दिये जाने की सराहना की।
वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत इतिहास बनाने की दहलीज पर खड़ा है। जीएसटी दौर की स्व-नियमन प्रकृति प्रशासन में सुधार करेगी और कर माँगों के इच्छापूर्ण अनुपालन को सुनिश्चित करेगी, सभा राज्य करों और शुल्कों को खत्म कर देश में एकरूपता लायेगी और अल्प अवधि और मँझोली अवधि, दोनों में राजस्व बढ़ायेगी।
एसोचैम के अध्यक्ष सुनील कनोरिया ने कहा कि जीएसटी जन समर्थक, उद्योग समर्थक और आर्थिक सुधार समर्थक है और यह देश के लिए खेल बदलने वाला साबित होगा। उन्होंने सरकार और विपक्ष के साथ आने, अपने मतभेदों से ऊपर उठने और जीएसटी का हकीकत बनाने की जरूरत बतायी।
सीआईआई के अध्यक्ष सुमित मजुमदार ने कहा कि अगर संविधान संशोधन विधेयक शीत सत्र में पारित नहीं होता है तो यह उद्योग और व्यापार के लिए अत्यंत निराशाजनक होगा। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से बिल को पारित करने का समर्थन करने की अपील की क्योंकि जीएसटी 'एक भारत' बनाने के लिए 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम को आगे बढ़ायेगा।
फिक्की की अध्यक्ष डॉ. ज्योत्स्ना सूरी ने जीडीपी में वृद्धि की संभावना बढ़ाने वाले, निर्माताओं को प्रतिस्पर्धी बढ़त देने वाले और युवाओं के लिए रोजगार सृजित करने वाले जीएसटी दौर का समर्थन करने के लिए पाँच प्रमुख उद्यग संगठनों और व्यापारिक समुदायों के एक साथ आने की सराहना की।
पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष डॉ. महेश गुप्ता ने कहा कि जीएसटी जैसे कर कानून 160 देशों में विद्यमान हैं और दुनिया एक बाजार की ओर बढ़ रही है। इसलिए भारत के राज्यों को एकीकृत साझा बाजार बनाना जरूरी है और जब दुनिया अभी भी आर्थिक मंदी की गिरफ्त में है, तो जीएसटी लागू करने के लिए अब से बेहतर कोई समय नहीं हो सकता।
भारत के विभिन्न राज्यों के छह प्रमुख व्यापारिक संगठनों की संस्था अखिल भारतीय व्यापार परिसंघ के राष्ट्रीय सचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी व्यापार के संचालन को सहज बनायेगी जो फिलहाल 24 अल्ग-अलग कानूनों के अनुपालन के बोझ तले दबा है। (शेयर मंथन, 18 दिसंबर, 2015)

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