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भारत में 2018 में 1.1 करोड हाथों से छिना रोजगार, ग्रामीण इलाकों में सबसे ज्यादा नुकसान: सीएमआईई (CMIE)

पिछले साल जॉब के परिदृश्य में गिरावट आई, क्योंकि 2018 के दौरान लगभग 1.1 करोड भारतीयों ने अपनी नौकरी खो दी, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है।

विश्लेषण रिपोर्ट में बताया गया है कि कमजोर वर्ग से संबंधित व्यक्तियों को 2018 में नौकरी से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
सीएमआई (CMIE) की रिपोर्ट से पता चला है कि देश में बेरोजगारों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। दिसंबर 2018 में नियोजित की संख्या 39.7 करोड़ थी, जो कि दिसंबर 2017 के अंत में एक साल पहले के 40.79 करोड़ के आँकड़े से 1.09 करोड़ कम है।
बेरोजगारी के रुझानों का बहुत बारीकी से किया गया अवलोकन यह दर्शाता है कि ग्रामीण और शहरी दोनों ही लोग मारे गए हैं, लेकिन अधिकांश क्षेत्रों में नौकरियों के नुकसान की सूचना मिली थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण भारत में अनुमानित 91 लाख नौकरियां खो गयीं, जबकि शहरी भारत में नुकसान 18 लाख नौकरियों का था। ग्रामीण भारत में भारत की आबादी का दो-तिहाई हिस्सा रहता है, लेकिन ग्रामीण भारत में नौकरियों का 84% नुकसान हुआ है।
2018 के दौरान नौकरी के नुकसान से महिलायें काफी प्रभावित हुयीं जहां 1.1 करोड़ नौकरियों से लोगों को हाथ धोना पड़ा, उसमें महिलाओं की संख्या 88 लाख है, जबकि पुरुषों की संख्या 22 लाख रही। लगभग 65 लाख ग्रामीण महिलाओं ने अपनी नौकरी खो दी, जबकि शहरी महिलाओं का आँकड़ा 23 लाख था। दूसरी ओर पुरुष नौकरी के नुकसान से प्रभावित नहीं थे। सीएमआई (CMIE) की रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी पुरुषों ने 5 लाख नौकरियां प्राप्त कीं, जबकि 23 लाख ग्रामीण पुरुषों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा। (शेयर मंथन, 05 जनवरी 2019)

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