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तेल-गैस में रिलायंस सबसे ज्यादा पसंद, लक्ष्य 1,550 रु.: सीएलएसए

सीएलएसए ने भारत के तेल-गैस क्षेत्र में रिलायंस इंडस्ट्रीज को अपना सबसे पसंदीदा शेयर मानते हुए इसका लक्ष्य भाव 1,550 रुपये रखा है। सीएलएसए की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इसके तेल-गैस विश्लेषक सोमशंकर सिन्हा का कहना है कि रिलायंस की नयी परियोजनाएँ न केवल इसे रिफाइनिंग और केमिकल्स कारोबार में मौजूदा गिरावट के दौर से उबरने में मदद करेंगीं, बल्कि अगले 2 सालों में इसकी आमदनी में काफी अच्छा इजाफा भी करेंगीं।

सोमशंकर सिन्हा का मानना है कि इस शेयर के भाव में मौजूदा कमजोरी इस शेयर को खरीदने का काफी अच्छा मौका दे रही है। इस समय रिफाइनिंग मार्जिन और पेट्रोकेमिकल मार्जिन में गिरावट की वजह से इस शेयर को लेकर बाजार में चिंता है, जो जायज है। सीएलएसए का अनुमान है कि मौजूदा गतिविधियों से कंपनी की आमदनी अगले कारोबारी साल में सालाना आधार पर 40% घट सकती है। इसके बावजूद चार वजहों से सीएलएसए इस शेयर को लेकर सकारात्मक नजरिया रखती है।

पहली वजह यह है कि नयी परियोजनाओं के चलते रिलायंस की कुल आमदनी अगले 2 सालों में काफी अच्छी रफ्तार से बढ़ने की उम्मीद है। सीएलएसए का आकलन है कि कंपनी की तीन मुख्य नयी परियोजनाओं के योगदान की वजह से इसका कुल एबिटा अगले 2 सालों में मौजूदा स्तर से 70% बढ़ेगा। यहाँ गौरतलब है कि सीएलएसए ने यह आकलन 2009 में केवल 4 डॉलर प्रति बैरल का रिफाइनिंग मार्जिन मान कर किया है, जो सालाना आधार पर 60% कम होगा। इस कारोबारी साल की तीसरी तिमाही के दौरान इसका सकल रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) 10 डॉलर प्रति बैरल रहा है। सीएलएसए का अनुमान है कि अगले 2 कारोबारी सालों (2009-10 और 2010-11) के दौरान कंपनी की प्रति शेयर आय (ईपीएस) सालाना औसतन 20% बढ़ेगी, जबकि इस दौरान विश्व में इस क्षेत्र की दूसरी प्रमुख कंपनियों की ईपीएस घटने की संभावना है।

दूसरे, कंपनी की आमदनी के स्रोतों में ज्यादा विविधता आ रही है। फिलहाल जहाँ रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल कारोबार कंपनी की कुल आमदनी का 90% योगदान करते हैं, वहीं भविष्य में अपस्ट्रीम (तेल-गैस खनन) गतिविधियाँ एबिटा का 50% योगदान करेंगीं। डाउनस्ट्रीम गतिविधियों की हिस्सेदारी नयी रिफाइनरी को मिलाने के बाद भी एबिटा का लगभग 45% होगी। रिलायंस के भविष्य को स्थिरता देने में सीएलएसए प्राकृतिक गैस (नेचुरल गैस) के कारोबार को काफी अहम मान रही है। इसका मानना है कि कंपनी के कुल एबिटा में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी लगभग 40% होगी। इसकी कीमत 5 साल तक नहीं बदलने के कारण कंपनी का 40% कारोबार बेहद स्थिर होगा। और फिर 5 साल बाद जब कीमतें बदलेंगीं तो ज्यादा संभावना उनके बढ़ने की ही होगी।

तीसरे, सीएलएसए को रिलायंस के खनन कारोबार से काफी उम्मीदें हैं। इसका मानना है कि कंपनी के पास करीब 20 अरब बैरल का ऐसा संसाधन है, जिसे जोखिम-मुक्त कहा जा सकता है। साथ ही, कंपनी ने इसकी पूरी संभावनाओं को अभी खंगाला नहीं है। चौथी प्रमुख वजह रिलायंस का मौजूदा मूल्यांकन है। इसके मुताबिक लंबे अरसे बाद रिलायंस का शेयर भाव इसके अंतर्निहित मूल्य से काफी नीचे चल रहा है।

सीएलएसए विश्लेषक सोमशंकर सिन्हा के मुताबिक सबसे बुरी स्थिति में भी (बेडरॉक सिनैरियो) रिलायंस का मूल्यांकन 875 रुपये प्रति शेयर बैठता है। उनके मुताबिक, अगर मूल्यांकन में संकोच न बरता जाये, तो 1,700-1,800 का लक्ष्य रखा जा सकता है। गुरुवार 29 जनवरी 2009 के कारोबार में लगभग 12.30 बजे रिलायंस का शेयर भाव 1.2% की गिरावट के साथ 1258 रुपये पर है। अक्टूबर 2008 में पूरे भारतीय बाजार में आयी जबरदस्त गिरावट के दौरान यह शेयर 930 रुपये तक फिसला था, जबकि इसका 52 हफ्तों का सबसे ऊँचा स्तर 5 मई 2008 को 2707 रुपये का था।

अक्टूबर-दिसंबर 2008 की तिमाही में कंपनी का शुद्ध कारोबार (नेट टर्नओवर) साल-दर-साल 34,590 करोड़ रुपये से 8.75% घट कर 31,563 करोड़ रुपये पर आ गया। इसी तरह कंपनी का तिमाही मुनाफा (विशेष मदों को छोड़ कर) भी अक्टूबर-दिसंबर 2007 के 3,882 करोड़ रुपये से 9.81% घट कर 3,501 करोड़ रुपये पर आ गया है।

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