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तुहिन कांत पांडे बने सेबी के नये प्रमुख, लेंगे माधबी पुरी बुच की जगह

केंद्र सरकार ने वित्त सचिव तुहिन कांत पांडे को बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) का नया चेयरमैन नियुक्त किया है। पांडे की नियुक्ति को केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने गुरुवार को मंजूरी दी थी। वह मौजूदा सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 1 मार्च 2025 को समाप्त हो रहा है।

मार्च 2028 तक के लिए हुई है नियुक्ति

पांडे 1987 बैच के ओडिशा कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं। उन्हें यह जिम्मेदारी अगले 3 साल के लिए सौंपी गयी है। यानी उन्हें 1 मार्च 2028 तक के लिए सेबी का प्रमुख बनाया गया है। तुहिन कांत पांडे अभी वित्त मंत्रालय में वित्त सचिव और राजस्व विभाग के सचिव के रूप में कार्यरत हैं। इससे पहले उन्होंने निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव के रूप में लंबे समय तक सेवा दी है।

काम आने वाले हैं ये अनुभव

दीपम में उनके कार्यकाल के दौरान कई आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाया गया। उनकी देखरेख में ही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया का निजीकरण हुआ और सरकारी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आईपीओ आया। इस बार पेश हुए आम बजट को तैयार करने में भी पांडे ने अहम भूमिका निभायी। सेबी प्रमुख के कार्यकाल के दौरान उनके ये अनुभव बहुत काम आ सकते हैं।

पांडे के सामने होंगी ये चुनौतियाँ

पांडे को नियमों का सख्ती से पालन करने वाला और साफ छवि वाला नौकरशाह माना जाता है। उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की निकासी के कारण दबाव देखा जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि उनका व्यापक वित्तीय अनुभव और नीति निर्माण में दक्षता सेबी को मजबूत करने में मदद करेगी। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती बाजार में निवेशकों का भरोसा बनाये रखना और सेबी के कर्मचारियों के बीच उठे हालिया असंतोष को दूर करना होगा।

बुच के कार्यकाल में हुए कुछ विवाद

माधबी पुरी बुच के कार्यकाल में कर्मचारियों ने नये मानव संसाधन नियमों के खिलाफ प्रदर्शन किया था, जिसे पांडे को संभालना होगा। इसके अलावा बुच के कार्यकाल में बाजार नियामक को अन्य विवादों का भी सामना करना पड़ा। जैसे अडानी एवं हिंडनबर्ग के प्रकरण में बुच और उनके पति का भी नाम आया था। हिंडनबर्ग ने बुच और उनके पति पर अडानी के साथ व्यावसायिक हितों का जुड़ाव रखने का आरोप लगाया था। हालाँकि हिंडनबर्ग के आरोपों में दम नहीं था और उसे महज कीचड़ उछालने के प्रयास के तौर पर देखा गया।

प्रभावशाली है पांडे की शैक्षणिक योग्यता

पांडे की शैक्षणिक योग्यता भी प्रभावशाली है। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर्स और ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम से एमबीए की डिग्री हासिल की है। उनकी नियुक्ति को लेकर बाजार विश्लेषकों में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखी जा रही है और उम्मीद की जा रही है कि वह भारतीय पूँजी बाजार को और पारदर्शी व मजबूत बनाने की दिशा में काम करेंगे।

(शेयर मंथन, 28 फरवरी 2025)

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