
इस साल की शुरुआत ही व्यापार के मोर्चे पर तनाव के साथ हुई। साल के पहले महीने अमेरिका में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की अगुवाई में नयी सरकार के गठन के बाद व्यापार तनाव बढ़ता जा रहा है। इससे दुनिया भर में महँगाई बढ़ने का डर सता रहा है। हालाँकि विश्वबैंक की एक ताजा रिपोर्ट इस मामले में चिंताएँ कुछ कम कर रही है। विश्वबैंक का कहना है कि महँगाई का यह खतरा जिंसों (कमोडिटी) की कम कीमतों से नरम पड़ सकता है।
विश्वबैंक की ‘कमोडिटी मार्केट्स आउटलुक- अप्रैल 2025’ रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक व्यापार युद्ध और भू-राजनीतिक तनाव जैसे कारक जहाँ महँगाई को बढ़ावा दे सकते हैं, वहीं जिंसों की गिरती हुई कीमतें इस जोखिम को संतुलित करने में सहायक हो सकती हैं। विश्वबैंक के अनुसार, ऊर्जा, खाद्य और औद्योगिक धातुओं जैसी वस्तुओं की माँग में गिरावट आयी है, जबकि इनकी आपूर्ति बढ़ गयी है। इस कारण जिंसों की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025 में जिंसों की औसत कीमतों में लगभग 12% की गिरावट आने की संभावना है और 2026 में यह गिरावट 5% तक बनी रह सकती है। यह गिरावट कोविड से पहले के स्तरों की ओर वापसी का संकेत देती है। विश्वबैंक का कहना है कि इस साल और अगले साल की गिरावट से कीमतें ऐसे स्तर पर आ सकती हैं, जो 2020 के बाद नहीं देखा गया है। बकौल विश्वबैंक- अंकित मूल्य के आधार पर कीमतें उस स्तर से अभी भी ऊपर रहेंगी, जहाँ वे महामारी शुरू होने से पहले थीं। हालाँकि महँगाई के साथ समायोजित करने पर पहली बार कीमतें 2015 से 2019 के दौरान के औसत से नीचे आ सकती हैं।
विश्वबैंक का कहना है कि जिंसों की वैश्विक कीमतें 2023 से लगातार कम हो रही हैं। महँगाई पर इसके असर को विश्वबैंक ने ऊर्जा की कीमतों का उदाहरण देकर समझाया है। विश्वबैंक के अनुसार, बढ़ती ऊर्जा कीमतों के चलते 2022 में वैश्विक महँगाई में 2% अंकों से अधिक की तेजी आयी थी, लेकिन 2023 और 2024 में ऊर्जा की घटती कीमतों ने महँगाई को कम करने में मदद की। इसकी कीमतों में 2025 में 17% गिरावट का अनुमान है। इसके बाद 2026 में कीमतें और 6% गिर सकती हैं। ऊर्जा के क्षेत्र में कच्चा तेल (ब्रेंट क्रूड ऑयल) की कीमत 2024 की तुलना में इस साल 17 डॉलर नीचे 64 डॉलर प्रति बैरल के औसत पर रहने का अनुमान है। इसके बाद 2026 में इसकी औसत कीमत 60 डॉलर पर आ सकती है। इसी तरह कोयला इस साल 27% सस्ता हो सकता है और इसके बाद अगले साल 5% और गिर सकता है।
रिपोर्ट में खाद्य पदार्थों को लेकर कहा गया है कि इनकी कीमतें भी कम हो सकती हैं। खाद्य पदार्थों के भाव 2025 में 7% सस्ते हो सकते हैं। इसके बाद 2026 में इसमें 1% अतिरिक्त कमी आ सकती है। वहीं सोने को लेकर विश्वबैंक का कहना है कि यह 2025 में आगे भी नये कीर्तिमान बना सकता है और 2026 में इसकी कीमतों में स्थिरता आने की उम्मीद है। विश्वबैंक के अनुसार, अगले दो साल में सोने की कीमतें महामारी से पहले के 5 सालों के औसत की तुलना में करीब 150% ऊपर रह सकती हैं।
(शेयर मंथन, 30 अप्रैल 2025)
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