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अंतरिम बजट ने चिंताएँ बढ़ायीं, दिया कुछ खास नहीं

pranab mukherjeeअंतरिम बजट 2009-10 ने उद्योग जगत और शेयर बाजार को निराश किया है। हालाँकि यह अंतरिम बजट था जिसमें आम तौर पर बड़ी घोषणाएँ नहीं की जाती हैं, लेकिन मौजूदा आर्थिक संकट को देखते हुए सरकार से एक राहत योजना की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन इस अंतरिम बजट में ऐसा कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया, जिससे अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिलने की उम्मीद लगायी जा सके। अब उद्योग जगत इस बात से चिंतित है कि चुनावी दौर शुरू होने की वजह से अगले 3-4 महीनों तक केंद्र सरकार से कोई नीतिगत मदद नहीं मिल सकेगी।

इस अंतरिम बजट के पेश होने से पहले ही आज भारतीय बाजार में हल्की गिरावट चल रही थी। लेकिन वित्त मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे प्रणव मुखर्जी का बजट भाषण शुरू होने के साथ ही यह गिरावट तेज हो गयी और बजट भाषण समाप्त होते-होते बीएसई का सेंसेक्स 3-3.5% तक कमजोर हो गया। इस अंतरिम बजट की कुछ खास बातें इस तरह है:

  • उद्योगों के लिए किसी बड़ी राहत योजना का ऐलान नहीं किया गया है।

  • कर ढाँचे में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

  • हाउसिंग परियोजनाओं, घर खरीदने वालों या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को कोई नयी रियायत नहीं।

  • साल के मध्य में पूर्ण बजट पेश करते समय एक और राजकोषीय (फिस्कल) राहत योजना लाने की जरूरत हो सकती है: प्रणव मुखर्जी

  • ग्रामीण और सामाजिक खर्च पर जोर बढ़ाया गया। ग्रामीण रोजगार योजना के लिए 2009-10 में 30,100 करोड़ रुपये का आवंटन।

  • ग्रामीण विकास, सड़क परिवहन, बिजली, रेलवे, औद्योगिक नीति और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बजट सहायता बढ़ायी गयी।

  • कर-रियायतों के जरिये 40,000 करोड़ रुपये की राहत।

  • रक्षा बजट को 34% बढ़ा कर 1.41 लाख करोड़ रुपये किया गया।

  • 2009-10 में 9.53 लाख करोड़ रुपये के खर्च का आकलन। इसमें योजना खर्च 2.85 लाख करोड़ रुपये और गैर-योजना खर्च 6.69 लाख करोड़ रुपये का।

  • 2008-09 में सरकारी खजाने का घाटा (फिस्कल डेफिसिट) जीडीपी का 6% रहने का अनुमान, पिछला अनुमान 2.5% का था।

  • 2008-09 में राजस्व घाटा (रेवेन्यू डेफिसिट) जीडीपी का 4.4% रहने का अनुमान, पिछला अनुमान 1% का था।

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