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नौकरियाँ मिलेंगी, वेतन भी बढ़ेगा, बस पहले से कम

राजीव रंजन झा

कपड़ा क्षेत्र में लाखों लोगों की नौकरियाँ गयी हैं। निर्यात पर निर्भर तमाम छोटे-बड़े उद्यम बड़े गंभीर संकट से जूझ रहे हैं और ऐसी तमाम इकाइयों ने काफी बड़े स्तर पर लोगों को काम से निकाला है।

यह बात केवल इन क्षेत्रों के लोगों ने नहीं कही है, बल्कि सरकार भी इस सच को कबूल रही है। लेकिन इन संकट-ग्रस्त क्षेत्रों से थोड़ा हट कर पूरे भारतीय उद्योग जगत की हालत देखें, तो क्या तस्वीर बन रही है? वेतन-वृद्धि पर एचआर सलाहकार हेविट एसोसिएट्स की सालाना रिपोर्ट बता रही है कि इस साल भारत के उद्योग जगत में वेतन-वृद्धि जारी रहेगी और ज्यादातर कंपनियाँ अब भी नयी भर्तियाँ करती रहेंगी।

पिछले साल 2008 में भारतीय कंपनियों ने औसतन 13.3% वेतन-वृद्धि की थी। इस बार यह वेतन-वृद्धि घट कर केवल 8.2% रह जायेगी। यह बीते 6 सालों की सबसे धीमी बढ़ोतरी होगी, फिर भी इस साल पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे तेज बढ़त होगी। जहाँ अखबारों की सुर्खियों में नौकरियाँ जाने और वेतन घटने की खबरें छायी हों, वहाँ वेतन में 8.2% की बढ़ोतरी की संभावना भी एक सुखद आश्चर्य से कम नहीं है। केवल 16% कंपनियों ने ही इस साल वेतन नहीं बढ़ाने के संकेत दिये हैं। करीब 90% कंपनियाँ अब भी कर्मचारियों को प्रोन्नति (प्रमोशन) दे रही हैं।
दुनिया भर में किस बड़े पैमाने पर छँटनियाँ चल रही हैं, यह हम सबको मालूम है। लेकिन भारत में केवल 16% कंपनियाँ ही इस विकल्प पर विचार कर रही हैं। दूसरी ओर 60% कंपनियाँ अब भी नयी भर्तियाँ कर रही हैं। वेतन-वृद्धि और नयी भर्तियों के ये आँकड़े सुर्खियों में छायी रहने वाली खबरों से थोड़ी अलग कहानी कह रहे हैं। नयी भर्तियाँ तभी की जाती हैं, जब आपके मौजूदा कर्मचारियों के पास पूरा काम हो और आपको नया काम मिलने की उम्मीद भी हो। अगर वेतन बढ़ रहा है और नयी भर्तियाँ हो रही हैं तो इसका मतलब है कि गाड़ी आगे बढ़ रही है। यह ठीक है कि गाड़ी की रफ्तार पहले से धीमी हो गयी है। लेकिन जरा तुलना करें उन गाड़ियों से जो पिछले गियर में चल रही हैं! 
शेयर मंथन में मैंने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि इस समय विश्व का आर्थिक संकट अमेरिका और यूरोप का संकट है और भारत जैसे देश केवल वहाँ मचे तूफान से पैदा लहरों की चपेट झेल रहे हैं। अगर विश्व अर्थव्यवस्था के फिसलने की दर अमेरिका-यूरोप से कम है तो इसके लिए आईएमएफ और विश्व बैंक वगैरह को भारत और चीन का शुक्रगुजार होना चाहिए।

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