अक्टूबर 2015 के महीने में थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index) पर आधारित महँगाई दर (Inflation) सितंबर 2015 के -4.54% की तुलना में थोड़ा बढ़ कर -3.81% रही है, हालाँकि अब यह शून्य से काफी नीचे ही चल रही है।
वहीं अक्टूबर 2014 में थोक महँगाई दर 1.66% थी। दरअसल पिछले साल नवंबर से यह लगातार बारहवाँ महीना है, जब थोक महँगाई दर शून्य से नीचे है। अक्टूबर महीने में थोक महँगाई के ऊपर बढ़ने का मुख्य कारण दालों, सब्जियों और प्याज के दाम बढ़ना है। जहाँ दालों के दाम 52.98% बढ़े हैं, वहीं प्याज की कीमतों में 85.66% की उछाल दर्ज हुई है। सब्जियों की कीमतें इस साल अक्टूबर में 2.56% बढ़ी हैं। अन्य खाद्य वस्तुओं पर नजर डालें तो दूध में 1.75% और गेहूँ में 4.68% की वृद्धि दर्ज हुई है, जबकि दूसरी ओर आलू के दाम 58.95% घटे हैं।
उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने इन आँकड़ों पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है, "डब्लूपीआई महँगाई दर पूरे एक साल से नकारात्मक बनी हुई है, जो बहुत सारी कमोडिटी की कीमतों पर दबाव जारी रहने का संकेत देती है।" बनर्जी के मुताबिक अक्टूबर के आँकड़ों से यह दिखता है कि ईंधन की कीमतों का सूचकांक बढ़ने के बावजूद प्राथमिक और उत्पादित दोनों तरह की चीजों की कीमतों में पिछले महीने की तुलना में बदलाव नहीं हुआ है। परिवहन लागत बढ़ने के कारण तैयार वस्तुओं की कीमतों पर इसका असर कुछ देर से आयेगा। हालाँकि बनर्जी का मानना है कि थोक महँगाई दर अभी नरम ही बनी रहेगी, क्योंकि कमोडिटी कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजारों में दबाव में हैं।
उद्योग संगठन फिक्की (FICCI) के महासचिव डॉ. ए. दीदार सिंह ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि "लगातार बारहवें महीने थोक महँगाई दर नकारात्मक रहना कमजोर कमोडिटी भावों के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में माँग कमजोर बने रहने को भी दर्शाता है। इस समय अर्थव्यवस्था में माँग को सुधारने और उत्पादकों की मूल्य-निर्धारण क्षमता वापस लाने के लिए सभी कदम उठाये जाने चाहिए। कुल माँग में सुधार आने पर निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।"
वहीं खाद्य महँगाई और खास कर दाल और तिलहन जैसी कमोडिटी के दामों को लेकर दीदार सिंह ने चिंता जतायी है। उन्होंने कहा है कि सरकार स्थिति के प्रति सचेत रही है और इसने आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतें नियंत्रण में रखने के उपाय किये हैं। जमाखोरों पर अंकुश लगाना उत्साहजनक कदम रहा है और सरकार ने दालों का आयात भी किया है। इससे उम्मीद है कि स्थिति सुधरेगी। (शेयर मंथन, 16 नवंबर 2015)