भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की द्वैमासिक समीक्षा में दरों में कोई बदलाव नहीं करने की घोषणा की है। इसलिए रेपो रेट 6.75% और रिवर्स रेपो रेट भी 5.75% पर ही ही बना रहेगा।
इसके अलावा रिजर्व बैंक ने नकद-आरक्षित अनुपात (सीआरआर) के 4% के स्तर में भी कोई बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक का कहना है कि आगे दरों में कटौती कमोडिटी, खाद्य महँगाई और तेल की कीमतों पर निर्भर होगी। इसके अलावा वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद भी वित्तीय घाटा काबू में रह सकता है, इस पर भी दरों में कटौती निर्भर रहेगी। साथ ही बैंक की आधार दर, बजत दर में कटौती और एनपीए में कमी आने पर दरों में कटौती का निर्णय किया जा सकता है।
रिजर्व बैंक ने मार्च, 2017 तक महँगाई दर 5% से नीचे रहने का अनुमान जताया है और वित्त वर्ष 2016 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7.4% बनाये रखा है। केंद्रीय बैंक के मुताबिक स्थिरता आने से पहले दिसंबर तक महँगाई दर में बढ़त बनी रहेगी। रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि कुछ क्षेत्रों में कमजोरी के बावजूद इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है। कमजोर ग्रामीण माँग, कृषि और सेवा क्षेत्र में महँगाई चिंता के सबब बने हुए हैं। राजन ने कहा कि केंद्रीय बैंक उदार है लेकिन साथ ही वह महँगाई पर सतर्क है और केंद्रीय बैंक द्वारा अब तक की गयी ब्याज दर कटौतियों को आगे बढ़ाने के लिए बैंकों पर जोर दे रहा है। केंद्रीय बैंक ने अब तक ब्याज दर में 125 आधार अंक की कटौती की है लेकिन बैंकों ने अपनी आधार दरों में केवल 60 आधार अंक की ही कटौती की है।
राजन ने कहा कि केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों के साथ नयी आधार दर पर काम कर रहा है जिसकी गणना फंड की सीमांत लागत के आधार पर की जायेगी। उन्होंने कहा कि बैंकों द्वारा दर कटौती की स्थितियाँ बन रही हैं क्योंकि सरकार बाजार दर के साथ लघु बचत दरों के तालमेल के प्रस्ताव पर काम कर रही है। बैंकों की लंबे अरसे से शिकायत रही है कि अगर वे जमा दरों में तीव्र कटौती करते हैं तो लघु बचतों को नहीं बचा पायेंगे। बैंक कर्ज दरों को तब तक नहीं घटा सकते जब तक कि वे जमा दरों को घटाने में सक्षम नहीं हो जाते।
रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा पर भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि ' पिछली नीति में ही 50 आधार अंक की कटौती हो चुकने के चलते रिजर्व बैंक का यथास्थिति बरकरार रखने का निर्णय उम्मीदों के अनुरूप है।' अब निम्न नीतिगत दरों के बैंकों की कर्ज दरों दिखने पर ध्यान केंद्रित है। बैंकों को कर्ज जरूरत में वृद्धि को वित्तपोषित करने के लिए तैयार होने की जरूरत है और रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) का उच्च स्तर उच्च वृद्धि के वित्तपोषण में बैंकों के लिए बाधा न बने।
फिक्की के महानिदेशक डॉ. ए. दीदार सिंह ने कहा कि उम्मीदों के अनुरूप रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखा है। लेकिन अब तक घौषित नीतिगत दर कटौतियों को आगे हस्तांतरित करने पर रिजर्व बैंक की नजर पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। हम चाहेंगे कि बैंक निम्न कर्ज दरों के रूप में इन कटौतियों का पूरा लाभ ग्राहकों और निवेशकों को हस्तांतरित करें। यह महत्वपूर्ण है कि अर्थव्यवस्था में कुल मिला कर माँग में सुधार हो रहा है। कमजोर मानसून के चलते ग्रामीण माँग पर दबाव एकमात्र चिंता है। कल जारी जीडीपी आँकड़े बताते हैं कि हम सुधार के शुरुआती चरण में हैं। हालाँकि वृद्धि के वेग को बनाये रखने और इसे और मजबूत करने के लिए निवेश चक्र को सभी उपायों के जरिये समर्थन देना होगा। (शेयर मंथन, 01 दिसंबर, 2015)